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संसद नहीं चलने से क्षुब्ध राष्ट्रपति, कहा भगवान के लिए संसद को चलाएं

सदन में नोटबंदी के मामले पर हंगामा कर रहे सांसद सदस्यों को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कड़ी चेतावनी दी है।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Thu, 08 Dec 2016 01:49 PM (IST)Updated: Thu, 08 Dec 2016 07:01 PM (IST)
संसद नहीं चलने से क्षुब्ध राष्ट्रपति, कहा भगवान के लिए संसद को चलाएं

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । संसद में लगातार गतिरोध पैदा कर रहे विपक्ष को राष्ट्रपति ने भी कठघरे में खड़ा कर दिया। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने संसद नहीं चलने पर बेहद गहरी नाराजगी का इजहार करते हुए सांसदों को दोनों सदन चलाने की दो टूक नसीहत दी है। राष्ट्रपति ने कहा 'भगवान के लिए संसद को चलने दें, संसद को चलाना सांसदों का काम है।' देश के शीर्ष संवैधानिक प्रमुख ने बेहद सख्त शब्दों में यह भी कहा कि संसद धरना-प्रदर्शन के लिए नहीं बल्कि बहस और चर्चा के लिए है।

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उन्होंने कहा कि सदन में हंगामा और नारेबाजी अल्पमत का बहुमत की आवाज को दबाने जैसा है। राष्ट्रपति की यह नसीहत खास तौर पर शीत सत्र में नोटबंदी पर हंगामा कर रहे विपक्षी दलों के रुख पर बेहद कड़ा प्रहार है।नोटबंदी के मुद्दे पर शीत सत्र के दौरान संसद के हंगामे की वजह से पूरी तरह ठप रहने के मद्देनजर राष्ट्रपति ने इस पर क्षोभ जाहिर करते हुए यह कड़ी टिप्पणी की। रक्षा संपदा निदेशालय के विशेष व्याख्यान के दौरान गुरुवार को राष्ट्रपति ने संसद के गतिरोध को लेकर यह राय जाहिर की।

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उन्होंने कहा कि जनता अपने प्रतिनिधि को संसद में बोलने और उसकी समस्याओं को सदन में उठाते हुए उसका समाधान निकालने के लिए चुनकर भेजती है, न कि सदन में धरना-प्रदर्शन और हंगामा करने के लिए। राष्ट्रपति ने सांसदों से कहा कि धरना-प्रदर्शन और विरोध के लिए अलग रास्ते हो सकते हैं। मगर भगवान के लिए आप वह काम करें जिसके लिए आप चुने गए हैं और उनका खास अनुरोध लोकसभा सांसदों से है कि वे मनी और वित्त विधेयक पर गंभीरता से चर्चा करें।

राष्ट्रपति की यह नसीहत शीत सत्र के सियासी संग्राम पर विपक्ष पर सीधे प्रहार के रुप में देखी जा रही है। हालांकि राष्ट्रपति ने अपने संबोधन के दौरान साफ कहा कि संसद चलाने संबंधी उनका बयान किसी एक दल या सांसद के लिए नहीं बल्कि सभी संबद्ध लोगों से है। प्रणव मुखर्जी ने सांसदों को यह भी याद दिलाई कि सदन के अंदर वे खुले तौर पर अपने मन मस्तिष्क के विचार रख सकते हैं और यह किसी अदालत की कानूनी परिधि से बाहर होती है। कोई अदालत सदन में सांसद की कही गई बातों को लेकर कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकता। राष्ट्रपति ने कहा कि हंगामे और धरना-प्रदर्शन के जरिए ऐसी स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में तीन 'डी' बहस, असहमति और निर्णय सबसे अहम तत्व हैं। इसमें बाधा डालने वाले चौथे 'डी' यानी डिशरप्शन की कोई जगह नहीं है। प्रणव ने कहा कि लोकसभा में वित्त और मनी बिल पर चर्चा किया जाना इसलिए बेहद जरूरी है कि एक रुपया भी बिना इसकी मंजूरी के खर्च नहीं किया जा सकता। ऐसे में देश में हर साल 16 से 18 लाख करोड रुपए के खर्च को लेकर पूरी चर्चा व बहस होना जरूरी है ताकि सही तरीके से यह पैसा खर्च हो सके। राष्ट्रपति ने इस दौरान लोकसभा में पारित हो चुके महिला आरक्षण बिल को राज्यसभा से भी पारित किए जाने की पुख्ता राय जाहिर की। तो चुनाव सुधारों को लेकर चुनाव आयोग की सिफारिशों पर अमल की जरूरत भी बताई। प्रणव मुखर्जी ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की संभावनाओं पर भी सकारात्मक तरीके से विचार करने की बात कही।

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