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स्तुति से अलग हो जिंदगी की जंग हार गई आराधना

मध्य प्रदेश के बैतूल स्थित पाढर अस्पताल में पिछले पंद्रह दिनों से अपनी जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही बच्ची आराधना की सांसें गुरुवार को थम गई। 20 जून को जब जुड़वा बच्चियों आराधना और स्तुति को ऑपरेशन के जरिए अलग किया गया था तो अस्पताल में जीवन का संगीत गूंजा था, लेकिन अब वहां सन्नाटा और मायूसी पसर गई है।

By Edited By: Published: Fri, 06 Jul 2012 08:43 AM (IST)Updated: Fri, 06 Jul 2012 02:54 PM (IST)
स्तुति से अलग हो जिंदगी की जंग हार गई आराधना

बैतूल। मध्य प्रदेश के बैतूल स्थित पाढर अस्पताल में पिछले पंद्रह दिनों से अपनी जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही बच्ची आराधना की सांसें बृहस्पतिवार को थम गई। 20 जून को जब जुड़वा बच्चियों आराधना और स्तुति को ऑपरेशन के जरिए अलग किया गया था तो अस्पताल में जीवन का संगीत गूंजा था, लेकिन अब वहां सन्नाटा और मायूसी पसर गई है।

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ऑपरेशन के पहले तक अपने नामों के अनुरूप आराधना और स्तुति दो जिस्म एक जान थीं। लेकिन अब स्तुति को आराधना के बगैर जीना होगा। अस्पताल में वेंटीलेटर पर लेटी मासूम आराधना को बचाने की डॉक्टरों ने जीतोड़ कोशिश की। नियति और डॉक्टरों के संघर्ष में डॉक्टर दो बार आराधना को मौत के मुंह से खींच लाए, लेकिन उसके नन्हे से दिल ने रात नौ बजकर बीस मिनट पर हमेशा के लिए धड़कना बंद कर दिया। डॉक्टरों के मुताबिक, उसे सेप्टीसीमिया हो गया था। दो जुलाई को दोनों की पहली सालगिरह पर जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह उन्हें बधाई देने अस्पताल पहुंचे थे, तब भी आराधना वेंटीलेटर पर सासें ले रही थी। इधर, स्तुति की हालत बिल्कुल अच्छी है। वह परिजनों के साथ खेलने भी लगी है।

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