निजी समारोहों में शराब परोसने के लिए लाइसेंस जरूरी नहीं
जस्टिस एंटनी डोमनिक एवं न्यायमूर्ति दामा शेषाद्रि नायडू की पीठ ने एलेक्स वी चाको की याचिका पर उपरोक्त निर्देश दिया।
कोच्चि, प्रेट्र । घरों में आयोजित होने वाली पार्टियों में शराब परोसने को लेकर केरल हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। नजीर कायम करने वाले अपने आदेश में शुक्रवार को उच्च न्यायालय ने कहा कि आवासीय परिसर में होने वाले निजी समारोहों में अनुमन्य मात्रा में शराब पीने-पिलाने के लिए आबकारी विभाग से लाइसेंस लेना जरूरी नहीं है।
जस्टिस एंटनी डोमनिक एवं न्यायमूर्ति दामा शेषाद्रि नायडू की पीठ ने एलेक्स वी चाको की याचिका पर उपरोक्त निर्देश दिया। अपनी बेटी की सगाई समारोह में शराब परोसने पर कहीं पुलिस कोई परेशानी न खड़ी कर दे, इस आशंका में एलेक्स ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। अपनी याचिका में एलेक्स ने बताया कि सगाई समारोह में मेहमानों को शराब परोसने के लिए उसे 50,000 रुपये फीस जमाकर आबकारी विभाग से लाइसेंस हासिल करना पड़ा। उसने कहा कि वह और उसके परिजनों के पास कानूनन अनुमन्य मात्रा में शराब है। केरल आबकारी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, एक व्यक्ति तीन लीटर तक अंग्रेजी शराब रख सकता है।
याचिका में एलेक्स ने घर में होने वाली पार्टी में शराब परोसने के लिए लाइसेंस जरूरी होने संबंधी प्रावधान को चुनौती दी थी। उसका कहना था, 'उसका अपना घर एक निजी स्थान है, इसलिए वहां पर मेहमानों को शराब परोसने के लिए आबकारी विभाग से लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं है। वहां पर शराब बिक्री के लिए नहीं बल्कि खाने के साथ परोसने के लिए है। एलेक्स की दलील थी कि निजी घर आबकारी अधिनियम के सेक्शन 15 के तहत सार्वजनिक स्थल की श्रेणी में नहीं आता है। उसकी दलील को स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि घरों पर आयोजित समारोहों में अनुमन्य मात्रा में शराब परोसने के लिए लाइसेंस की कोई आवश्यकता नहीं है। उसने याचिकाकर्ता को अनुमन्य मात्रा में शराब परोसने की इजाजत दे दी। अदालत ने राज्य सरकार की इस दलील को ठुकरा दिया कि अगर लोगों को आमंत्रित किया जाता है और उन्हें शराब परोसा जाता है तो घर को भी बार की श्रेणी में माना जा सकता है।