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जासूसी के इतिहास की सबसे बड़ी चूक थी 26/11 हमला

जासूसी कला के इतिहास में एक जरा--सी चूक का नतीजा मुंबई में 26 नवंबर 2008 के आतंकी हमले के रूप में सामने आया। एक जांच रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका, ब्रिटेन और भारत के जासूस मुंबई में हमले को नाकाम करने के लिए अपनी हाईटेक जासूसी प्रणालियों से मिली सूचनाओं को

By Sudhir JhaEdited By: Published: Mon, 22 Dec 2014 01:45 PM (IST)Updated: Tue, 23 Dec 2014 02:17 AM (IST)
जासूसी के इतिहास की सबसे बड़ी चूक थी 26/11 हमला

न्यूयॉर्क। जासूसी कला के इतिहास में एक जरा--सी चूक का नतीजा मुंबई में 26 नवंबर 2008 के आतंकी हमले के रूप में सामने आया। एक जांच रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका, ब्रिटेन और भारत के जासूस मुंबई में हमले को नाकाम करने के लिए अपनी हाईटेक जासूसी प्रणालियों से मिली सूचनाओं को एक सूत्र में पिरोने में असफल रहे थे।

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न्यूयॉर्क टाइम्स, प्रोपब्लिका और पीबीएस सीरिज 'फ्रंटलाइन' ने ' इन 2008 मुंबई किलिंग्स, सूचनाओं का अंबार, लेकिन एक अनसुलझी गुत्थी' शीषर्षक से रिपोर्ट प्रकाशित की है। रिपोर्ट के अनुसार मुंबई हमले का अनखुला इतिहास आतंकवाद के खिलाफ हथियार के रूप में कम्प्यूटरों पर निगरानी और संदेशों को पकड़ने की संवेदनशीलता के साथ--साथ उनकी ताकत को भी जाहिर करता है।

विस्तार से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि आगे क्या होगा, इसका अनुमान नहीं लगा पाना जासूसी कला के इतिहास की सबसे बड़ी चूक में शुमार किया जा सकता है। इन तीनों देशों की गुप्तचर एजेंसियां उनके हाईटेक निगरानी प्रणाली और अन्य तरीकों से एकत्र जानकारियों को एकसाथ नहीं रख पाई। अगर ऐसा होता तो वे इस भयावह हमले को नहीं होने देते, जिसे भारत का 9/11 भी कहा जाता है।

अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के पूर्व कांट्रेक्टर एडवर्ड स्नोडेन द्वारा लीक किए गए गोपनीय दस्तावेजों का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि संचार माध्यमों पर दूसरों की बातें छिपकर सुनने से अक्सर कीमती जानकारी मिलती है, हालांकि अगर तकनीक पर बारीकी से नजर नहीं रखी जाए, इनसे मिली गोपनीय जानकारियों को अन्य सूचनाओं से न जोड़ा जाए या विश्लेषण से किसी पर हाथ डालने लायक जानकारी निकलकर न आए तो ललचाने वाले सुरागों में चूक हो सकती है।

सबसे बड़ी नाकामी गुप्तचरी की इस सबसे स्पष्ट नाकामी से जुड़ी रिपोर्ट में कहा गया है कि 26/11 हमले के मुख्य योजनाकार जरार शाह की ऑनलाइन गतिविधियों पर भारत और ब्रिटेन दोनों की गुप्तचर एजेंसियां नजर रखे हुए थी, लेकिन मुंबई हमले के पहले तक उसकी योजना का पता नहीं लगा सकी। गौरतलब है कि जरार शाह पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर--ए--तोइबा का टेक्नोलॉजी प्रमुख था। 2008 के उत्तरार्ध में शाह उत्तरी पाकिस्तान के पहाड़ों से निकलकर अरब सागर के निकट सुरक्षित जगह पर चला गया और मुंबई हमले की योजना बनाने लगा।

तीन देशों में गफलत रिपोर्ट के अनुसार बहरहाल सितंबर तक खुद शाह को यह जानकारी नहीं थी कि ब्रिटेन उसकी ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं। पर वे अकेले उसकी जासूसी नहीं कर रहे थे। भारतीय गुप्तचर एजेंसियां भी शाह पर नजर रखे हुए थीं। दूसरी तरफ अमेरिका इन दो देशों की कोशिशों के बारे में अनजान था। उसे अन्य इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों और मुखबिरों से हमले की साजिश के संकेत मिले। रिपोर्ट के अनुसार हमले के पहले अमेरिका ने भारतीय अधिकारियों को कई बार इस बारे में चेताया भी था।

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