राजनीति से प्रेरित है लीला का आरोप : राज्यवर्धन
फिल्म सेंसर बोर्ड के कामकाज में सरकारी हस्तक्षेप व बोर्ड में भ्रष्टाचार व्याप्त होने का आरोप लगा इस्तीफा देने वाली बोर्ड की चेयरपर्सन लीला सैमसन पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने पलटवार किया।
जयपुर, जागरण संवाददाता। फिल्म सेंसर बोर्ड के कामकाज में सरकारी हस्तक्षेप व बोर्ड में भ्रष्टाचार व्याप्त होने का आरोप लगा इस्तीफा देने वाली बोर्ड की चेयरपर्सन लीला सैमसन पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने पलटवार किया। उन्होंने लीला के आरोपों को गलत, बेबुनियाद व राजनीति से प्रेरित बताते हुए बोर्ड के अध्यक्ष समेत अन्य सदस्यों की जल्द नियुक्ति के संकेत दिए। शनिवार को जयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में उनके साथ केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर भी उपस्थित थे।
राठौड़ ने बाबा राम रहीम की फिल्म 'एमएसजी-मैसेंजर ऑफ गॉड' को लेकर सेंसर बोर्ड पर दबाव बनाने के आरोपों को खारिज कर दिया। कहा, सरकार फिल्म की रिलीज में कोई दखल नहीं देती। सेंसर बोर्ड की आपत्ति के बाद इस फिल्म के निर्माता फिल्म प्रमाणन अपीलीय प्राधिकरण में गए हैं। प्राधिकरण के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं।
प्रमाणन के समय ट्रिब्यूनल राष्ट्रीय सुरक्षा और सभी धर्मो के सम्मान व देश की अखण्डता को ध्यान में रखते हुए अनावश्यक दृश्यों में कांट-छांट या कुछ जोड़ने या घटाने के आदेश दे सकता है। राठौड़ ने बताया कि इससे पहले, 'हैदर' और 'पीके' फिल्म की रिलीज में भी सेंसर बोर्ड पर दबाव बनाए जाने की खबरें आई थीं, जो बेबुनियाद निकलीं। लीला सैमसन द्वारा भ्रष्टाचार के लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। कहा, लीला के कार्यकाल में उनका एक पसंदीदा अधिकारी घूस लेते सीबीआई के हाथों पकड़ा गया था। ऐसे में समझा जा सकता है कि वे आरोप किस कारण से लगा रही हैं? केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि फिल्म सेंसर बोर्ड के सदस्यों का कार्यकाल पहले ही पूरा हो चुका है, अब नई प्रक्रिया शुरू होगी।