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.और अपना दर्द भूल दूसरों के संघर्ष को बनाया मकसद

लक्ष्मी आज भी 27 अप्रैल 2005 का वो दिन याद कर सिहर उठती हैं जब खान मार्केट में उनके चेहरे पर एक सिरफिरे आशिक ने तेजाब फेंक दिया था। उनका कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने नईब खान नाम के उस शख्स के शादी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। उस समय सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली महज 16 वर्ष की लक्ष्मी ने इस हादस

By Edited By: Published: Wed, 05 Mar 2014 07:48 AM (IST)Updated: Wed, 05 Mar 2014 07:50 AM (IST)
.और अपना दर्द भूल दूसरों के संघर्ष को बनाया मकसद

[संजीव कुमार मिश्र], नई दिल्ली। लक्ष्मी आज भी 27 अप्रैल 2005 का वो दिन याद कर सिहर उठती हैं जब खान मार्केट में उनके चेहरे पर एक सिरफिरे आशिक ने तेजाब फेंक दिया था। उनका कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने नईब खान नाम के उस शख्स के शादी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। उस समय सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली महज 16 वर्ष की लक्ष्मी ने इस हादसे में ना केवल अपना चेहरा खोया बल्कि उनके इलाज में घर की माली हालत भी बिगड़ गई। पिता ने सारी जमा-पूंजी इलाज में लगा दी। बेटी की दशा और आर्थिक हालत बिगड़ने के कारण वो अंदर ही अंदर घुटते रहे और आखिरकार दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। परिस्थितियां अनुकूल न होने के बावजूद लक्ष्मी ने हार नहीं मानी और तेजाब पीड़िताओं के पुनर्वास के लिए संघर्ष करती रहीं। सुप्रीम कोर्ट में मुआवजा प्रक्रिया को लेकर याचिका भी दायर की। अमेरिकी राष्ट्रपति की पत्‍‌नी मिशेल ओबामा के हाथों सम्मानित किए जाने की खबर पर लक्ष्मी प्रसन्नता जताते हुए कहती हैं, कि यह तेजाब पीड़िताओं के संघर्ष की जीत है।

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नौकरी के लिए दर-दर भटकीं

वर्ष 2012 में लक्ष्मी के पिता की हार्ट अटैक से मौत हुई थी। पिता की मौत के बाद पूरा परिवार बिखर गया। लक्ष्मी का चेहरा अभी भी ठीक नहीं हो पाया था। 2005 से 2009 तक वह अस्पताल में भर्ती रहीं। दस से ज्यादा सर्जरी हुई, फिर भी तेजाब के दाग नहीं गए। पिता की मौत से सबसे ज्यादा धक्का लक्ष्मी को लगा। पहले से ही सदमे से जूझ रही लक्ष्मी ने नौकरी के लिए दिल्ली एनसीआर के दफ्तरों की खाक छानी। सैकड़ों कंपनियों में इंटरव्यू दिया। लक्ष्मी के ज्ञान की तो तारीफ होती, लेकिन उनका चेहरा देख नौकरी देने से इन्कार कर दिया जाता। छोटी- मोटी नौकरी कर वो घर का खर्चा चलाती रहीं।

स्पॉट आफ शेम अभियान

जिस जगह लड़कियों पर तेजाब हमला होता है, उसे केवल अपराध स्थल नहीं कहना चाहिए। बल्कि समाज उसे शर्म का स्थान (स्पॉट ऑफ शेम) के नाम से जाने, इसके लिए लक्ष्मी ने स्पॉट ऑफ शेम अभियान की शुरुआत की। तेजाब हमले की शिकार युवतियों के पुनर्वास के लिए सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ रही लक्ष्मी ने स्पॉट ऑफ शेम कार्यक्त्रम के तहत दिल्ली, मुंबई, कानपुर, उन्नाव, लखनऊ, चेन्नई, आगरा, पानीपत और मेरठ में जाकर वारदात स्थल पर जागरूकता कार्यक्रम चलाया।


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