केरल के लव जेहाद मामले को राजनैतिक रंग देने से सुप्रीम कोर्ट नाराज
सोमवार को शफीन के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि केरल हाईकोर्ट का आदेश बना रहने लायक नहीं है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केरल लव जिहाद मामले को राजनैतिक रंग देने पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई। कोर्ट ने पति शफीन के वकील की दलीलों पर कड़ा ऐतराज जताते हुए मामले पर विचार करने से इन्कार कर दिया और सुनवाई 30 अक्टूबर तक टाल दी।
ये मामला केरल में हिन्दू लड़की के धर्म परिवर्तन करके मुस्लिम युवक से शादी करने का है। केरल हाईकोर्ट ने मामले को लव जिहाद मानते हुए शादी अवैध घोषित कर दी थी और लड़की को पिता के पास भेज दिया था। पति शफीन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है और पत्नी अखिला उर्फ हादिया को साथ रहने की इजाजत मांगी है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच एनआइए को सौंपी है।
सोमवार को शफीन के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश बना रहने लायक नहीं है। लड़की ने अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन करके शादी की है। उसे जबरदस्ती पिता के पास कैद करके रखा जा रहा है। लड़की कई बार हाईकोर्ट में कह चुकी है कि उसने अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन किया है और शादी की है। उन्होंने कहा कि केरल में अंतरधर्मी शादियां होती हैं ऐसे मामलो में कोर्ट को नहीं पड़ना चाहिए। इसके बाद दवे का स्वर अचानक तेज हो गया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ केरल गये और उन्होंने लव जिहाद के बारे में बयान दिया है। शफीन पति है उसे पत्नी की सुरक्षा को लेकर चिंता है।
तभी कोर्ट ने सरकार की ओर से पेश एएसजी मनिंदर सिंह से पूछा कि एक बालिग युवती अगर अपनी इच्छा से शादी करती है तो क्या कोर्ट बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए शादी को अवैध घोषित कर सकता है। सिंह ने कहा कि वैसे तो वे एनआइए की ओर से पेश हुए हैं लेकिन अगर कोर्ट कहेगा तो वे सरकार का पक्ष भी रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने विभिन्न फैसलों को देखने के बाद ये पाया कि मातापिता का भी अधिकार होता है।
उन्होंने कहा कि इस मामले में लड़की को सम्मोहित किया जाता है। जैसे ही सिंह ने ये बात कही दुष्यंत दवे ने तेज आवाज में भाजपा और अमित शाह पर आरोप लगाने शुरू कर दिये। कोर्ट में बहुत गर्मागर्मी हो गई। पीठ ने इस तरह की दलीलों पर कड़ी आपत्ति जताई और दवे से कहा कि इस तरह का व्यवहार स्वीकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट सिर्फ कानूनी सवाल पूछ रहा था। उनकी ओर से दी गई दलीलें ठीक नहीं हैं।
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