विधि अायोग की सिफारिश, अातंकवाद अौर राष्ट्रद्रोह के मामले में ही हो फांसी
विधि अायोग ने देश में फांसी की सजा खत्म किये जाने की सिफारिश की है। अायोग ने सिर्फ आतंकवाद और राष्ट्रद्रोह के मामलों में फांसी की सज़ा दिए जाने की पैरवी की है। विधि अायोग के अध्यक्ष जस्टिस ए पी शाह ने कहा कि अायोग के 9 में से 6
नई दिल्ली। विधि अायोग ने देश में फांसी की सजा खत्म किये जाने की सिफारिश की है। अायोग ने सिर्फ आतंकवाद और राष्ट्रद्रोह के मामलों में फांसी की सज़ा दिए जाने की पैरवी की है। विधि अायोग के अध्यक्ष जस्टिस ए पी शाह ने कहा कि अायोग के 9 में से 6 सदस्य रिपोर्ट से सहमत हैं। 3 असहमत सदस्यों में से 2 सरकार के प्रतिनिधि हैं।
रिपोर्ट की ख़ास बातें :-
* देश के कानून में उम्रकैद का मतलब उम्रकैद होता है। एक तय समय के बाद रिहाई राज्य सरकार करती है। कई राज्यों में अलग-अलग तरह के मामलों में उम्रकैद की सीमा अलग अलग तय की गई है।
* आँख के बदले आँख का सिद्धांत हमारे संविधान की बुनियादी भावना के खिलाफ। बदले की भावना से न्यायिक तंत्र नहीं चल सकता
* सारा ज़ोर फांसी पर होने की वजह से पुलिस और न्यायिक तंत्र और खुद अपराधी के सुधार जैसी बातों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है
* सुप्रीम कोर्ट ने 'रेयरेस्ट ऑफ़ रेयर' मामलों ने फांसी दिए जाने का फैसला दिया था। लेकिन खुद सुप्रीम कोर्ट कई बार निचली अदालतों में मनमाने तरीके से दी गई फांसी की सज़ा पर चिंता जता चुका है
* राष्ट्रपति और राज्यपाल को मिले माफ़ी के अधिकार के बावजूद ग़लत शख्स को फांसी मिल जाने की आशंका पूरी तरह से दूर नहीं होती
* फांसी की सज़ा अक्सर आर्थिक-सामजिक रूप से कमज़ोर लोगों को मिलती है
* हमारी सिफारिश है कि फिलहाल सिर्फ आतंकवाद और राष्ट्रद्रोह के मामलों में फांसी दी जाए
* हम उम्मीद करते हैं कि एक दिन हर तरह के अपराध के लिए फांसी की सज़ा बंद हो जायेगी