विधि आयोग ने जमानत स्वत: खारिज होने का किया विरोध
आयोग ने पिछले हफ्ते कानून मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट में यह सिफारिश की है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। विधि आयोग ने सरकार से कहा है कि आतंकवाद से जुड़े मामलों में आरोपियों का जमानत आवेदन स्वत: नहीं खारिज कर दिया जाना चाहिए। इसके बदले सुबूत को ज्यादा अहमियत दी जानी चाहिए। आयोग ने पिछले हफ्ते कानून मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट में यह सिफारिश की है।
इसने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के उस प्रावधान की तरफ भी इशारा किया है, जिसमें जमानत के बिना हिरासत की अवधि बढ़ाने की बात है। आयोग का कहना है कि आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य की अहम भूमिका होनी चाहिए और जिन लोगों के खिलाफ कमजोर साक्ष्य हैं, उन्हें आरोप तय करने से पहले जमानत दे दी जानी चाहिए।
गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम में बिना जमानत के हिरासत की अवधि 90 दिनों की है। इसके बाद लोक अभियोजक की रिपोर्ट के आधार पर विशेष अदालत हिरासत अवधि को बढ़ाकर 180 दिन तक कर सकती है। हालांकि, विधि आयोग ने यह भी कहा है कि गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत जमानत के नियम पोटा और टाडा से ज्यादा हल्के हैं।
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