दिवंगत आइएएस की भी लगा दी ड्यूटी
उत्तर प्रदेश सरकार के इकबाल को उसी के अफसर लगातार बट्टा लगा रहे हैं। पहले तो केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा चुके और सेवानिवृत्त अफसरों को जिलों में विकास कायरें के सत्यापन का फरमान सुना दिया गया फिर 16 अप्रैल को जारी शासनादेश में तो गजब ही कर दिया गया। मणिपुर में चुनाव ड्यूटी के दौरान 12 अप्रैल को
लखनऊ [रमण शुक्ला]। उत्तर प्रदेश सरकार के इकबाल को उसी के अफसर लगातार बट्टा लगा रहे हैं। पहले तो केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा चुके और सेवानिवृत्त अफसरों को जिलों में विकास कायरें के सत्यापन का फरमान सुना दिया गया फिर 16 अप्रैल को जारी शासनादेश में तो गजब ही कर दिया गया। मणिपुर में चुनाव ड्यूटी के दौरान 12 अप्रैल को हृदयाघात से असमय काल का ग्रास बने आइएएस चंद्रभानु को मऊ जाकर विकास योजनाओं की सच्चाई जानने की जिम्मेदारी सौंप दी गई। यह दीगर है 13 अप्रैल को जब उनका पार्थिव शरीर लखनऊ लाया गया तो श्रद्धांजलि अर्पित करने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी उनके घर गए थे।
मामला मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पहल पर शासन की प्राथमिकताओं के साथ विकास कार्यक्रमों की उच्च स्तरीय निगरानी और स्थलीय निरीक्षण का है, जिसे बीते वर्ष कार्यक्रम कार्यान्वयन विभाग ने शुरू किया था। सितंबर में सरकार ने प्रमुख सचिव व सचिव स्तर के अधिकारियों से लेकर मंडलायुक्त तक को जिलों में भेजकर उनसे विकास योजनाओं की प्रगति की समीक्षा कराने का निर्णय किया था। इसके जरिए सरकार यह फीडबैक हासिल करना चाहती थी कि तमाम महत्वाकांक्षी योजनाओं का लोगों को कितना फायदा मिला।
नए वित्तीय वर्ष 2014-15 की शुरुआत में दो अप्रैल को कार्यक्रम कार्यान्वयन विभाग के प्रमुख सचिव एसपी गोयल ने जनवरी में प्रशासनिक सुधार विभाग के प्रमुख सचिव का पद छोड़कर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा चुके प्रभात कुमार सारंगी जैसे कई अफसरों को जिलों में स्थलीय निरीक्षण का फरमान सुना दिया। फिर 16 अप्रैल को जारी शासनादेश में 28 फरवरी को प्रमुख सचिव खादी एवं ग्रामोद्योग के पद से रिटायर हो चुके सत्यजीत ठाकुर को रामपुर में विकास कायरें के सत्यापन की जिम्मेदारी सौंप दी। इसी शासनादेश में दिवंगत चंद्रभानु को मऊ जाकर स्थलीय निरीक्षण की जिम्मेदारी सौंपी गई है।