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राजकीय सम्मान के साथ हुआ लांस नायक हनुमनथप्पा का अंतिम संस्कार

लांस नायक हनुमनथप्पा का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ धारवाड़ में उनके पैतृक गांव बेदातुर में किया गया। हनुमनथप्पा ने गुरुवार को दिल्ली में सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में अंतिम सांस ली थी।

By anand rajEdited By: Published: Thu, 11 Feb 2016 09:21 PM (IST)Updated: Fri, 12 Feb 2016 02:37 PM (IST)
राजकीय सम्मान के साथ हुआ लांस नायक हनुमनथप्पा का अंतिम संस्कार

नई दिल्ली। लांस नायक हनुमनथप्पा का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ धारवाड़ में उनके पैतृक गांव बेदातुर में किया गया। हनुमनथप्पा ने गुरुवार को दिल्ली में सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में अंतिम सांस ली थी।

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सियाचिन में बर्फ की 35 फीट मोटी परत के नीचे छह दिन तक दबे रहे जांबाज फौजी हनुमनथप्पा को बचाने के लिए डॉक्टरों ने पूरजोर कोशिश की। लेकिन बुरी तरह प्रभावित हो चुके उनके शरीर पर इलाज और दवाओं का कोई असर नहीं हो पा रहा था।

वीर सपूत को श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर दुख जताया है।कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने हनुमनथप्पा की मौत पर गहरा दुख जताया। उन्होंने कहा कि हनुमनथप्पा के अदम्य साहस को देश हमेशा याद रखेगा। कर्नाटक सरकार ने हुनमनथप्पा के परिवार को 25 लाख का मुआवजा और 6 एकड़ जमीन देने का ऐलान किया है।

हुबली में कर्नाटक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में लोगों ने हनुमनथप्पा को भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

कर्नाटक में हुबली के नेहरु स्टेडियम में लांस नायक हनुमनथप्पा के शव को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था।

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भारतीय सेना के लांसनायक हनुमनथप्पा कोप्पड ने दोपहर 11.45 बजे अंतिम सांस ली। 33 साल के यह बहादुर सैनिक मद्रास रेजिमेंट की 19वीं बटालियन में तैनात थे और अपने पीछे पत्नी महादेवी अशोक और दो साल की बेटी नेत्रा कोप्पड को छोड़ गए हैं। इससे पहले मंगलवार से उनके इलाज में जुटे डॉक्टरों ने उनकी हालत में सुधार के लिए तमाम उपाय कर लिए थे। मगर गुरुवार सुबह से ही वे और गहरे कोमा में चले गए थे और कई अहम अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। दवाओं की अधिकतम खुराक के बावजूद उनके गुर्दे सहित अधिकांश अंगों में सुधार का कोई संकेत नहीं मिल रहा था। निमोनिया और बढ़ गया था और ब्लड कंपोनेंट की मदद लिए जाने के बावजूद खून के थक्के जमने की समस्या बंद नहीं हो रही थी। उनको वेंटिलेटर और डायलसिस सहित अधिकतम लाइफ सपोर्ट सिस्टम का सहारा दिया गया था।

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प्रधानमंत्री ने उनके निधन पर दुख जताते हुए कहा, 'वे हम सबको उदास छोड़ गए हैं। ईश्वर लांस नायक हनुमनथप्पा की आत्मा को शांति प्रदान करें। आपके अंदर का सैनिक अमर रहेगा। मुझे गर्व है कि आप जैसे सैनिक देश की सेवा में लगे हैं।' कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और भाजपा प्रमुख अमित शाह समेत तमाम नेताओं ने भी उनके निधन पर शोक जताया है। शाम पांच बजे उनका पार्थिव शरीर दिल्ली छावनी के बरार स्क्वैयर पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों ने यहां पहुंच कर उन्हें आखिरी सलामी दी।

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हनुमनथप्पा का इलाज मंगलवार दोपहर से दिल्ली में सेना के आरएंडआर अस्पताल में चल रहा था। इसमें एम्स के शीर्ष डाक्टर भी मदद कर रहे थे। मंगलवार को प्रधानमंत्री भी उन्हें देखने अस्पताल पहुंचे थे। साथ ही सरकार ने तय किया था कि उनको बचाने के लिए कोई भी प्रयास छोड़े नहीं जाएंगे। तीन फरवरी को सियाचिन में 20 हजार फीट की ऊंचाई पर तैनात हनुमनथप्पा सहित दस जवान हिमस्खलन में दब गए थे। मगर अकेले हनुमनथप्पा छह दिन तक 35 फीट बर्फ की चादर में दबे जिंदगी की जंग लड़ते रहे। सोमवार को बचाव दल को उन्हें निकाल पाने में कामयाबी मिली। मगर मंगलवार की दोपहर ही उन्हें दिल्ली के अस्पताल पहुंचाया जा सका।


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