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सड़क परियोजनाओं के लिए तेज होगा भूमि अधिग्रहण

राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में और तेजी लाने के लिए केन्द्र सरकार की तरफ से परियोजनाओं में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sun, 01 May 2016 07:11 PM (IST)Updated: Sun, 01 May 2016 07:58 PM (IST)
सड़क परियोजनाओं के लिए तेज होगा भूमि अधिग्रहण

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र ने राष्ट्रीय राजमार्गो के निर्माण में तेजी लाने के लिए अधिकारियों से भूमि अधिग्रहण में तेजी लाने को कहा है। एनएचएआइ और एनएचआइडीसीएल से कहा गया है कि वे अपनी परियोजना क्रियान्वयन इकाइयों में राजस्व अधिकारियों की संख्या बढ़ाने के अलावा कन्सल्टेंट के तौर पर रिटायर्ड राजस्व अधिकारियों की सेवाएं लें। राज्यों से भी भूमि अधिग्रहण के लिए सक्षम प्राधिकारियों की संख्या बढ़ाने का अनुरोध किया गया है।

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इस संबंध में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से एनएचएआइ तथा एनएचआइडीसीएल को बाकायदा दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।

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इनमें मंत्रालय ने कहा है कि भूमि अधिग्रहण में देरी की एक वजह राज्य सरकारों की ओर से नियुक्त सक्षम भूमि अधिग्रहण प्राधिकारियों (सीएएलए) पर काम का अत्यधिक बोझ होना भी है। इसे कम करने के लिए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि किसी सीएएलए के जिम्मे 250-300 करोड़ रुपये से ज्यादा के भूमि अधिग्रहण के मामले न हों। इससे अधिक राशि के मामले होने पर राज्य सरकार से अतिरिक्त सीएएलए की मांग की जानी चाहिए।

इसके अलावा अधिग्रहण में तेजी लाने के लिए एजेंसियों को राज्यवार प्रत्येक सीएएलए के कार्य प्रदर्शन का ब्यौरा भी रखना चाहिए है। इसमें ऐसे सभी मामले शामिल होंगे जिनमें एनएच एक्ट, 1956 की धारा 3ए तथा 3डी के तहत छह माह बाद भी विचार न हुआ। इसके अलावा उन मामलों का विवरण भी रखा जाना चाहिए जिनमें धारा 3जी के तहत एक साल बाद भी मुआवजे की राशि तय न की गई हो अथवा धारा 3एच के तहत एक साल बाद भी मुआवजे का भुगतान न किया गया हो।

समय पर भूमि अधिग्रहण न होना राजमार्ग परियोजनाओं में विलंब का प्रमुख कारण रहा है। दर्जनों परियोजनाएं केवल इसी कारण अटकी हुई हैं। पहले ज्यादातर ठेके भूमि अधिग्रहण से पहले ही दे दिए जाते थे। जिसका कन्सेशनेयर्स को भारी खामियाजा भुगतना पड़ता था। इसे देखते हुए सरकार ने बीओटी (बिल्ट, आपरेट एंड ट्रांसफर-अपने खर्चे पर बनाओ, टोल से लागत+मुनाफा वसूलो और निश्चित अवधि बाद सड़क सरकार को सौंप दो) प्रोजेक्ट के मामले में 80 फीसद व ईपीसी (इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट एंड कांस्ट्रक्शन-इसमें कांट्रैक्टर सरकार के पैसे से प्रोजेक्ट पूरा कर उसे सौंप देता है) प्रोजेक्ट के मामले में 90 फीसद भूमि अधिग्रहण से पहले परियोजनाओं के ठेके देने पर पाबंदी लगा दी। इससे कन्सेशनेयर को तो राहत मिल गई, लेकिन भूमि अधिग्रहण न होने से परियोजनाओं के ठेकों में विलंब होने लगा है।

गौरतलब है कि हाल के दिनों में राज्य सरकारों, खासकर बिहार की ओर से केंद्र पर उन पुरानी राजमार्ग परियोजनाओं में जमीन का नई दर पर मुआवजा देने के लिए दबाव बनाया था जिन पर अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है अथवा नए भूमि अधिग्रहण कानून के बाद काम शुरू हुआ है। इस सिलसिले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की थी।


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