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भारत में कठिन है भूमि अधिग्रहण

भूमि अधिग्रहण को एक कठिन काम करार देते हुए एनआइटीआइ आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढि़या ने शनिवार को कहा कि शहर बसाने सहित किसी भी बड़ी परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण करने में आसानी से 5 वर्ष का समय लग जाएगा।

By Murari sharanEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2015 09:15 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2015 09:40 PM (IST)
भारत में कठिन है भूमि अधिग्रहण

नई दिल्ली। भूमि अधिग्रहण को एक कठिन काम करार देते हुए एनआइटीआइ आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढि़या ने शनिवार को कहा कि शहर बसाने सहित किसी भी बड़ी परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण करने में आसानी से 5 वर्ष का समय लग जाएगा।

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टिकाऊ और सम्मिलित शहरीकरण विषय पर यहां आयोजित एक सम्मेलन में उन्होंने साफ किया कि भूमि की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने बताया कि देश में यह समस्या बहस का एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। उन्होंने कहा, 'यदि आप नया शहर बसाना चाहते हैं तो कारोबार स्थापित करने के लिए आपको भूमि और बड़ी जगह की दरकार भी होगी।'

पनगढि़या ने कहा, 'सभी अनुमान लगाने के बाद मैंने पाया कि एक शहर या उसके जैसा कुछ भी बनाने करने के लिए भूमि अधिग्रहण में आसानी से करीब 5 वर्ष का समय लग जाएगा। मैं यह पक्के तौर पर कह सकता हूं कि यदि एनजीओ, न्यायिक या अन्य तरह का विरोध नहीं हुआ तो हर चरण आसानी से पार हो जाएगा।'

खाली जगह एक समस्या है और मिल भी गई तो वहां निर्माण करना कठिन है। इसके साथ अन्य मुद्दे भी हैं। उन्होंने बताया कि भारतीय शहरों के पास लो फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआइ) नीति है जिसका परिणाम है आसमान छूता किराया। उन्होंने आगे साफ किया कि आपके सामने शहरीकरण को व्यवस्थित करना भी जरूरी है। तेज गति से सघन नेटवर्क वाले यातायात की जरूरत है ताकि लोग आसानी से अपनी मंजिल तक पहुंच सकें। इस व्यवस्था से लोगों को मुख्य शहर के बाहर बड़ी जगह में रहने की सुविधा मिलेगी।

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