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कर्नाटक के साधारण परिवार से थे लांस नायक हनुमनथप्पा कोपड़

हनुमनथप्पा कोपड़ भारतीय सेना का वो जवान था जिसे आर्मी की तरफ से किए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में सियाचीन के 20,500 फीट ऊंचे सियाचिन ग्लेशियर के 35 फीट बर्फ के नीचे दबने के 6 दिन बाद जिंदा बच गया।

By Atul GuptaEdited By: Published: Thu, 11 Feb 2016 12:54 PM (IST)Updated: Thu, 11 Feb 2016 03:34 PM (IST)
कर्नाटक के साधारण परिवार से थे लांस नायक हनुमनथप्पा कोपड़

नई दिल्ली। नई दिल्ली। हनुमनथप्पा कोपड़ भारतीय सेना का वो जवान था जिसे आर्मी की तरफ से किए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में सियाचीन के 20,500 फीट ऊंचे सियाचिन ग्लेशियर के 35 फीट बर्फ के नीचे दबने के 6 दिन बाद जिंदा बच गया। लेकिन, खराब हालत और कई अंगों के काम ना करने के चलते उसने आज सुबह करीब 11.45 पर आखिरी सांसें ली। इससे पहले हनुमनथप्पा डीप कोमा में चले गए थे।

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हनुमनथप्पा के निधन पर पीएम समेत कई राजनीतिक हस्तियों ने दुख व्यक्त किया है।

हनुमनथप्पा के जिंदा होने की इस चमात्कारिक खबर ने पूरे देश को हैरान करके रख दिया और सभी ने अपने इस बाहदुर जवान की सलामती के लिए दुआ मांग रहे थे।

लांस नायक हनुमनथप्पा 19 मद्रास रेजिमेंट से था। हनुमनथप्पा कर्नाटक के धारवाड़ जिले के बेतादुर गांव के एक साधारण परिवार का रहनेवाला था। हनुमनथप्पा की पत्नी का नाम है महादेवी, जबकि इनकी एक डेढ़ साल की बेटी नेत्र है।

हनुमनथप्पा के बारे में कहा जाता है कि वो धार्मिक प्रवृत्ति का था और नियमित तौर पर योग करता था। इतना ही नहीं, अपने साथियों को भी ऐसा करने में उसकी मदद करता था।

अपने तेरह साल के सर्विस करियर के दौरान कर्नाटक के निवासी हनुमथप्पा ने दस साल आतंकवाद से लड़ते हुए बिताए। उन्होंने न सिर्फ जम्मू कश्मीर बल्कि उत्तर पूर्व में भी आतंकवाद के खिलाफ अभियान में हिस्सा लेकर कई बार मौत को मात दी।

हनुमनथप्पा की पत्नी महादेवी

हनुमथप्पा 25 अक्टूबर 2002 को 19 मद्रास रेजीमेंट में भर्ती हुए थे। वर्ष 2003 से 2006 के बीच उन्होंने रियासी के माहौर में आतंकवाद से लड़ाई लड़ी। इसके बाद उन्होंने दूसरी बार भी राष्ट्रीय राइफल्स में शामिल होकर आतंकवाद से लड़ने की ख्वाहिश जताई। वर्ष 2008 से 2010 के बीच वह 54 राष्ट्रीय राइफल्स में रहे।

गम में बैठे हनुमनथप्पा के माता-पिता

राष्ट्रीय राइफल्स में दो बार तैनाती के बाद उन्होंने उत्तर पूर्व में स्वेच्छा से तैनाती स्वीकार की। इस दौरान उन्होंने 2010 से 2012 के बीच एनडीएफबी व उल्फा जैसे आतंकवादी दलों के खिलाफ अभियान में हिस्सा लिया।

हनुमथप्पा अगस्त 2015 में सियाचिन ग्लेशियर में 19,600 फीट की उंचाई पर पोस्ट में डयूटी के लिए चुने गए।
गौरतलब है कि 3 फरवरी को सियाचीन के उत्तरी ग्लेशियर में आए तूफान के चलते सेना के 10 जवान बर्फ के अंदर दब गए थे। जिनमें से लांस नायक हनुमनथप्पा को छोड़ बाकियों को मृत शव बरामद किए गए।

पढें- देश के वीर सपूत लांस नायक हनुमनथप्पा का निधन, पीएम ने जताया दुख


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