कोहली, धौनी और धवन नहीं, ये खिलाड़ी है भारत की जीत की गारंटी
मौजूदा टीम इंडिया में एक खिलाडी़ ऐसा है जो अगर प्लेइंग इलेवन में शामिल हो तो भारत की जीत की गारंटी रहती है।
नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। भारतीय टीम अभी वेस्टइंडीज़ के दौरे पर है और इस टीम में एक खिलाड़ी ऐसा भी है, जिसे अगर प्लेइंग इलेवन में मौका दिया जाए तो टीम इंडिया की जीत पक्की रहती है। वो खिलाड़ी ना तो कप्तान कोहली है, ना ही पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी और ना ही युवराज और शिखर धवन। उस खिलाड़ी का नाम है कुलदीप यादव। कुलदीप यादव ने अभी तक एक टेस्ट और दो अंतरराष्ट्रीय वनडे मैच खेले हैं। जिसमे से भारत को एक टेस्ट और एक वनडे में जीत मिली और एक वनडे बारिश के चलते रद्द हो गया। टेस्ट मैच में कुलदीप ने चार विकेट लेकर भारत की जीत की नींव रखी थी, तो वनडे में तीन विकेट लेकर वेस्टइंडीज़ की टीम की कमर तोड़ दी थी।
कुलदीप यादव, एक ऐसा नाम है जिसमें अभूतपूर्व प्रतिभा भरी हुई है। उसे सिर्फ मौके की तलाश रहती है और जैसे ही उसे मौका मिलता है वह खुद को साबित कर देता है। 2004-05 में कानपुर के ऊबड़ -खाबड़ मैदान से क्रिकेट का ककहरा शुरू करने वाला छोटा बच्चा अब 22 वर्ष की उम्र में भारतीय वनडे टीम का सदस्य बन गया है। उत्तर प्रदेश अंडर-19 टीम, भारतीय अंडर-19 टीम, उत्तर प्रदेश रणजी टीम, मध्य जोन, मुंबई इंडियंस और कोलकाता नाइटराइडर्स में शामिल होने के बाद इसी साल उसे ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में टेस्ट कैप मिली थी, जिसमें उसने पहली पारी में ही चार विकेट हासिल करके खुद को साबित कर दिया था। धर्मशाला टेस्ट में जब ऑस्ट्रेलिया 144/1 स्कोर पर पहुंच गया था तब कोहली की अनुपस्थिति में कप्तानी करने उतरे अजिंक्य रहाणे ने कुलदीप को गेंद थमाई और उन्होंने चार विकेट लेकर मैच का पासा पलट दिया।
उन्हें इस मौके की कई वर्षो से तलाश थी, लेकिन रविचंद्रन अश्विन, रवींद्र जडेजा के अलावा अक्षर पटेल, जयंत यादव और अमित मिश्रा तक को मौका मिल रहा था। भारत को इस सीरीज को जीतने के लिए यह मैच जीतना जरूरी था और इसीलिए कुलदीप को सरप्राइज पैकेज के तौर पर शामिल किया गया है क्योंकि ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को उन्हें खेलने का अनुभव नहीं था। ऐसा हुआ भी और उनकी बदौलत भारत ने सीरीज जीत ली। हालांकि, इसके बाद उन्हें वनडे और टी-20 में मौका नहीं मिला। चैंपियंस ट्रॉफी में भी उनका चुनाव नहीं हुआ।
वेस्टइंडीज दौरे पर उन्हें मौका दिया, लेकिन पहले ही वनडे में बारिश के कारण वह गेंदबाजी नहीं कर सके। दूसरे वनडे में उन्होंने नौ ओवर में 50 रन देकर तीन विकेट ले लिए, जिसके बाद भारतीय कप्तान विराट कोहली ने भी उनकी जमकर तारीफ की। इस खिलाड़ी ने साबित कर दिया कि जब भी उसे मौका मिलेगा, वह निराश नहीं करेगा। निश्चित तौर पर अब भारतीय प्रबंधन को 2019 में इंग्लैंड में होने वाले विश्व कप के लिए इस चाइनामैन गेंदबाज को अपनी योजना में शामिल करना चाहिए, क्योंकि वह हर परिस्थितियों में गेंद को घुमाने वाला गेंदबाज है।
आसान नहीं रही है राह
कुलदीप के कोच कपिल देव पांडेय ने दैनिक जागरण से कहा था कि हमें उम्मीद थी कि एक न एक दिन वह भारत की तरफ से खेलेगा। 2014 में वेस्टइंडीज के खिलाफ वनडे सीरीज में उसे शामिल भी किया गया था, लेकिन उसे एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला। इस बीच एक ऐसा भी समय आया जब वह कुछ निराश रहने लगा, लेकिन इस साल उसे ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में शामिल किया गया।
बेंगलुरु और रांची में उसके खेलने की उम्मीद थी, लेकिन धर्मशाला में उसे शामिल किया गया। निश्चित तौर पर ऑस्ट्रेलिया को चौंकाने के लिए ऐसा किया गया, क्योंकि वह रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा से अलग गेंदबाजी करते हैं। अश्विन ऑफ स्पिन कराते हैं तो जडेजा बायें हाथ से स्पिन करते हैं, जबकि कुलदीप बायें हाथ से गेंद को दोनों तरफ घुमा लेते हैं। वह भारत का इकलौता चाइनामैन गेंदबाज है। वह बायें हाथ से कलाई के सहारे गेंद स्पिन कराता है जो अंदर की तरफ जाती है। उसे जब भी मौका मिलेगा वह खुद को साबित कर देगा। कोच की बात सही साबित हुई और इस गेंदबाज को जब दूसरा मौका मिला तो उसने फिर से खुद को साबित किया।