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पढ़िए, भारतीय टेस्ट इतिहास के पहले चाइनामैन गेंदबाज कुलदीप के दिल की बात

कुलदीप यादव ने अपने टेस्ट आगाज के बाद दिए पहले इंटरव्यू में कहा कि टीम इंडिया के लिए खेलना और बेहतर प्रदर्शन करना सपना सच होने जैसा।

By ShivamEdited By: Published: Wed, 29 Mar 2017 10:14 PM (IST)Updated: Thu, 30 Mar 2017 12:47 PM (IST)
पढ़िए, भारतीय टेस्ट इतिहास के पहले चाइनामैन गेंदबाज कुलदीप के दिल की बात
पढ़िए, भारतीय टेस्ट इतिहास के पहले चाइनामैन गेंदबाज कुलदीप के दिल की बात

अभिषेक त्रिपाठी, धर्मशाला। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार मैचों की सीरीज के आखिरी टेस्ट में मौका पाने और पहली पारी में ही चार विकेट लेकर छा जाने वाले चाइनामैन गेंदबाज कुलदीप यादव ने अपने टेस्ट आगाज के बाद दिए पहले इंटरव्यू में कहा कि टीम इंडिया के लिए खेलना और बेहतर प्रदर्शन करना सपना सच होने जैसा। पेश है उनसे बातचीत के मुख्य अंश-

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- बहुत दिन से आप मौके की तलाश में थे। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहला टेस्ट खेलने का जब पता चला तो कैसा महसूस हुआ?

कुलदीप- भारत के लिए खेलना हर क्रिकेटर का सपना होता है। जब पता चला कि मैं खेल रहा हूं तो जितनी खुशी थी उतना ही नर्वस भी था। अच्छा यह रहा कि मुझे जिस लिए मौका मिला उस पर खरा उतरा। टीम के लिए योगदान करना हमेशा महत्वपूर्ण होता है। पहली पारी में चार विकेट लेना अच्छा रहा।

- दूसरी पारी में मैक्सवेल आपके खिलाफ कुछ ज्यादा ही आक्रामक थे?

कुलदीप- पहली पारी में भी ऑस्ट्रेलियाई खिलाडि़यों को मेरी गेंद समझ में नहीं आ रही थी। दूसरी पारी में भी मैक्सवेल को मेरा टप्पा समझ नहीं आ रहा था। यही कारण था कि वह शॉट मारकर मुझ पर दबाव बनाना चाह रहे थे। क्रिकेट में यही होता है। कभी हम उन पर तो कभी वह हम पर दबाव बनाने की कोशिश करते हैं।

- लेकिन दूसरी पारी में आपको सिर्फ पांच ओवर ही गेंदबाजी कराई?

कुलदीप- हां मैंने एक ही स्पेल किया। उसके बाद जडेजा और अश्विन ने बहुत अच्छी गेंदबाजी की। ऑस्ट्रेलिया बहुत जल्दी आउट हो गई तो मुझे गेंदबाजी की जरूरत ही नहीं पड़ी। कुल मिलाकर हमें विकेट चाहिए थे, चाहे उन्हें कोई भी ले।

- मैक्सवेल को मारने के बाद बॉउंड्री के पास बांगर आपको क्या समझा रहे थे?

कुलदीप- उन्होंने मैक्सवेल या रन जाने को लेकर कुछ नहीं कहा। वह सिर्फ रन अप को लेकर कुछ सलाह दे रहे थे।

- अब आप टेस्ट क्रिकेटर हो गए हैं। क्या अब खुद से उम्मीद बढ़ गईं हैं?

कुलदीप- आप ऐसा कह सकते हैं। अभी तक मैं टीम इंडिया में जगह बनाने की कोशिश कर रहा था। अब मैं एक टेस्ट खेल चुका हूं। मुझे लगातार टीम में बने रहने के लिए लगातार अच्छा प्रदर्शन करना होगा, क्योंकि अब लोगों को भी मुझसे ज्यादा उम्मीद होगी।

- पहला मैच खेलना और उसमें ही गावस्कर-बॉर्डर ट्रॉफी उठाना, कैसा लगा?

कुलदीप- यह तो अदभुत है। दुनिया की नंबर वन टीम का सदस्य होना और उसके लिए खेलते हुए इतनी बड़ी ट्रॉफी उठाना एक अलग अहसास देता है।

- विराट सहित बाकी लोगों ने आपका मनोबल कैसे बढ़ाया?

कुलदीप- टीम का माहौल बहुत शानदार है। विराट, अजिंक्य और कोच कुंबले आपका इतना मनोबल बढ़ाते हैं कि लगता ही नहीं कि आप टीम में नए खिलाड़ी हैं। कुंबले तो इतना ध्यान देते हैं। आपकी छोटी-छोटी कमियों और जरूरतों पर नजर रखते हैं। इतने बड़े क्रिकेटर अगर आप पर विश्वास करते हैं तो आपका भी आत्मविश्वास बढ़ जाता है।

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