हाई कोर्ट की फटकार के बाद झुकी कोलकाता पुलिस, भागवत की सभा अाज
कोलकाता हाईकोर्ट ने मोहन भागवत को 14 तारीख को ब्रिगेड परेड ग्राउंड में रैली करने की इजाजत दे दी है।
कोलकाता, एएनआई। कलकत्ता हाई कोर्ट ने दो दिनों में ममता सरकार को दो झटका दे दिया। पहले आसनसोल में सांसद मेला आयोजित करने की अनुमति दी और शुक्रवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में सशर्त सभा आयोजित करने की अनुमति दे दी।
शुक्रवार को आरएसएस की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के जस्टिस जयमाल्य बागची ने कोलकाता पुलिस की कड़ी आलोचना की। सभा की मंजूरी देते हुए उन्होंने आरएसएस के समक्ष शर्ते रखी हैं। इसमें कहा गया है कि सभा में जिन लोगों को आमंत्रित किया गया है सिर्फ वे ही हिस्सा ले सकेंगे।
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चार हजार से अधिक लोगों की भीड़ न हो यह सुनिश्चित करना होगा। भागवत की सभा ब्रिगेड परेड ग्राउंड में शनिवार को दोपहर दो से शाम छह बजे तक होनी है। अदालत ने इस दौरान सभास्थल पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात करने का निर्देश दिया है।
आरएसएस की पश्चिम बंगाल इकाई की ओर से भागवत की कोलकाता में सभा आयोजित करने की तैयारी की गई थी। संघ ने सबसे पहले महाजाति सदन, फिर खिदिरपुर के भू-कैलाश मंदिर परिसर इसके बाद शहीद मीनार में सभा करने की इजाजत मांगी, लेकिन अनुमति नहीं मिली।
बाद में ब्रिगेड परेड मैदान में सभा की अनुमति मांगी। सेना की ओर से ब्रिगेड परेड मैदान में सभा की इजाजत दे दी गई, लेकिन कोलकाता पुलिस ने अनुमति नहीं दी। इसके बाद आरएसएस ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
बुधवार को ही हाई कोर्ट ने कोलकाता पुलिस आयुक्त को आरएसएस द्वारा किए गए आवेदन पर 24 घंटे में निर्णय देने का निर्देश दिया था। कोलकाता पुलिस की ओर से गुरुवार को पत्र भेज कर सभा की अनुमति नहीं दिए जाने की वजह बता दी गई। इसके बाद शुक्रवार को आरएसएस ने फिर से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और सशर्त अनुमति मिल गई। उधर संघ प्रमुख मोहन भागवत शुक्रवार की शाम को कोलकाता पहुंच गए।
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वह शनिवार को सभा करने के बाद रविवार को संघ के पदाधिकारियों व प्रदेश भाजपा नेताओं के साथ बैठक करेंगे। पुलिस आयुक्त को कारण बताओ नोटिस आरएसएस की याचिका पर सुनवाई के बाद बुधवार को ही हाई कोर्ट ने कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार को पूरे मामले को गंभीरता से देखने और रिपोर्ट अदालत में पेश करने का निर्देश दिया था। लेकिन अदालत में जो रिपोर्ट पेश की गई उस पर आयुक्त के हस्ताक्षर के बजाय संयुक्त आयुक्त का हस्ताक्षर था।
शुक्रवार को इस रिपोर्ट को देखते ही जस्टिस बागची ने पुलिस आयुक्त राजीव कुमार की कड़ी आलोचना की। इसके बाद पुलिस आयुक्त को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 15 दिनों के अंदर जवाब देने का निर्देश दिया।