कुलभूषण जाधव को बचाने में आखिर क्यों जी जान से जुटी है मोदी सरकार
जिस तरह से भारत सरकार ने जाधव मामले में इतनी सक्रियता दिखाई वैसा सौरभ कालिया और सरबजीत जैसे अन्य मामलों में क्यों नहीं दिखा।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। कथित तौर पर जासूसी और विध्वंसकारी साजिशें रचने के आरोप में पाकिस्तान के मिलिट्री कोर्ट से फांसी की सज़ा पा चुके पूर्व भारतीय नेवी ऑफिसर कुलभूषण जाधव पर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) ने सोमवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। आईसीजे ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि वह जल्द से जल्द अपना फैसला सुना देगा।
लेकिन, सवाल उठता है कि आखिर जाधव मामले को भारत इतनी गंभीरता के साथ शुरू से उठा रहा है जबकि इससे पूर्ववर्ती सरकारों ने इतनी सक्रियता बाकी मामलों में क्यों नहीं दिखाई? यह सवाल उठना लाजिमी है। यह सवाल सोमवार को अंतरराष्ट्रीय अदालत में भारत की तरफ से पक्ष रखने के बाद जानेमाने वकील हरीश साल्वे से भी पूछा गया गया। क्योंकि, ऐसा कहा जा रहा है कि अगर भारत ने जाधव से पूर्व भी इस तरह की सक्रियता दिखाई होती तो जो आज पाकिस्तान प्रेशर महसूस कर रहा होता और उसका कुछ हद तक असर पहले से होता।
सरकार की सक्रियता का कारण
कुलभूषण जाधव के मामले पर खुद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में कहा कि जाधव भारत का बेटा है और उसे बचाने के लिए अगर 'आउट ऑफ द वे' जाने की जरूरत पड़ेगी तो सरकार जाएगी ताकि उस भारत के निर्देष बेटे की जान बचाई जा सके। यही बात देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी कह चुके है कि जाधव की जान बचाने के लिए जो कुछ भी करना होगा किया जाएगा। इस मामले पर रक्षा विशेषज्ञ रिटायर्ड मेजर जनरल राज कादयन का कहना है कि सरकार पाकिस्तान को यह पहले बता चुका है कि जाधव को अगर फांसी दी जाती है तो वह उसे ‘वॉर क्राइम’ मानेंगे। उन्होंने बताया कि जाधव मामले में सरकार की सक्रियता का बड़ा कारण ये है कि अगर जाधव की जान बचती है तो यह एक तरह से देश के लिए गर्व की बात होगी। जबकि, एक निर्दोष भारतीय की जान बचने पर मोदी सरकार की वाहवाही भी होगी।
125 करोड़ जनता की सेवा के लिये तत्पर सरकार: नलिन कोहली
जाधव मामले पर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता नलिन कोहली का कहना है कि चूंकि मोदी सरकार 125 करोड़ जनता की सेवा के लिए तत्पर है, ऐसे में जाधव केस में जिस तरह का अन्याय हुआ उसकी वजह से सरकार इसे गंभीरता से ले रही है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने खुद विएना कन्वेंशन को स्वीकार किया है लेकिन उसने मानवाधिकार का उल्लंघन किया। ऐसे में मोदी सरकार ने वरिष्ठ वकील साल्वे को अंतरराष्ट्रीय अदालत में भेजकर अपने पक्ष रखा है। नलिन कोहली का कहना है कि आईसीजे का फैसला आने के बाद इस केस में सरकार आगे की रणनीति तय करेगी।
ऐसी सक्रियता पहले नहीं देखी: हरीश साल्वे
एक निजी टेलीविज़न चैनल की तरफ से जब हरीश साल्वे से पूछा गया कि जाधव मामले पर सरकार किनारे हो गई थी ऐसे में सरकार के उठाए गए कदम को वह किस तरह से देखते है इसके जवाब में साल्वे ने कहा कि वह पिछले तीन साल से इस सरकार के साथ काम कर रहे हैं लेकिन ऐसी सक्रियता उन्होंने पहले कभी नहीं देखी। साल्वे कहा कि इसके लिए सबसे पहले सरकार का शुक्रिया करना चाहेंगे।
सौरभ कालिया, सरबजीत मामले में भारत की सक्रियता क्यों नहीं
सवाल ये भी उठता है कि जिस तरह से भारत सरकार ने जाधव मामले में इतनी सक्रियता दिखाई वैसा सौरभ कालिया और सरबजीत जैसे अन्य मामलों में क्यों नहीं दिखा। इस सवाल के जवाब में रक्षा विशेषज्ञ राज कादयान ने कहा, ‘यह कहना गलत होगा कि भारत ने इससे पहले सक्रियता नहीं दिखाई। सौरभ कालिया मामले में भारत की सक्रियता नहीं दिखाने के पीछे सबसे बड़ी वजह थी कि कालिया जिंदा नहीं बचे थे। ऐसे में कालिया की जान जाने के बाद भारत के पास पाक के खिलाफ ज्यादा कुछ करने को नहीं था। जबकि, सरबजीत के मामले में भारत ने सक्रियता दिखाई थी और उसकी फांसी पर भी रोक भी लग गई थी।’
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किस तरह अलग है सरबजीत और जाधव का मामला
रक्षा विशेषज्ञ राज कादयान की मानें तो कुलभूषण जाधव मामले में भारत ने अंतरराष्ट्रीय अदालत में साफतौर पर कहा कि पाक ने जो कुछ किया है वह विएना संधि का सरासर उल्लंघन है। उसकी वजह साफ है कि पाकिस्तान की मिलिट्री कोर्ट ने बड़े ही सीक्रेट तरीके से जाधव को फांसी की सज़ा सुनाई और यह फैसला भारत को पाकिस्तानी मीडिया की तरफ से पता चला। इसके अलावा, जाधव के परिवार को पाकिस्तान ने वीज़ा एप्लीकेशन का भी कोई जवाब नहीं दिया और कई बार कांसुलर एक्सेस की मांग पर पाक ने लगातार उससे इनकार किया। जबकि, सरबजीत के मामले में ऐसा नहीं था।
जाधव पर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के अलावा और क्या ऑप्शन
अब सवाल यह भी उठता है कि अंतरराष्ट्रीय अदालत के अलावा जाधव को बचाने के लिए भारत के पास और कौन से विकल्प बचे हैं। पाकिस्तान ने कहा है कि कुलभूषण को फांसी की सज़ा के खिलाफ अपील करने के लिए पांच महीने का वक़्त बचा है। रक्षा विशेषज्ञ राज कादयान का कहना है कि जाधव को बचाने के लिए भारत की तरफ से पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई जा सकती है। लेकिन, अगर पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट की तरफ से भारत को निराशा हाथ लगी तब भी एक उम्मीद बचेगी और वह उम्मीद होगी पाकिस्तान के राष्ट्रपति के पास दया याचिका की।
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाक के खिलाफ जाने से क्यों बचता है भारत
एक बड़ा सवाल यह है कि पाकिस्तान के खिलाफ आवाज़ उठाने को लेकर भारत लगातार अंतरराष्ट्रीय फोरम पर जाने से क्यों बचता है। इस सवाल के जवाब में रिटायर्ड मेजर जनरल राज कादयान का कहना है कि भारत जब अंतरराष्ट्रीय फोरम पर जाकर अपनी ऊंगली जला चुका है। उसके बाद भारत की अब तक कोशिशें यही रही है कि वह पाकिस्तान के साथ किसी भी मुद्दे को द्विपक्षीय बताकर अंतरराष्ट्रीय फोरम पर लेकर जाने से बचता है।
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