45 देशों में एक आवाज, एक पहचान, जानिए- PM मोदी की खास उपलब्धियां
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोमवार यानि 29 जून से मिशन यूरोप के मक़सद से 3 मई तक चार देशों की छह दिवसीय यात्रा हैं।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साल 2014 के मई में सरकार में आते ही दुनिया के कई देशों की यात्राएं अपने कार्यकाल के पहले साल में की। हालांकि, इस यात्रा को लेकर वह विपक्षी दलों के निशाने पर भी रहे। लेकिन, सबसे ख़ास बात उनके दौरे की यह रही कि इस दौरान जहां उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के पक्ष को मजबूती से रखते हुए संबंधों को एक नई दिशा दी तो वहीं पिछली सरकार की तुलना में करीब दोगुना विदेशी निवेश लाने में भी वह सफल रहे।
4 देशों की छह दिवसीय यात्रा पर निकले मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोमवार यानि 29 जून से लेक 3 मई तक 'मिशन यूरोप' के मक़सद चार देशों की छह दिवसीय यात्रा पर निकल चुके हैं। रुस, जर्मनी, स्पेन और फ्रांस के इस दौरे में उनके एजेंडे पर मुख्य रूप से आर्थिक, रक्षा, विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी प्रमुख रहेगा। हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा के दौरान यूरोपीय संघ-भारत मुक्त व्यापार समझौते पर भी बात होने की संभावना है। प्रधानमंत्री ने विदेश यात्रा पर निकलने से पहले खुद कहा कि दौरे का मुख्य मक़सद उन देशों के साथ आर्थिक संबंधों को बढ़ाना और वहां से ज्यादा से ज्यादा निवेश भारत में लाना है।
अब तक 45 देशों की यात्रा कर चुके है पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी अपनी सरकार के तीन साल के कार्यकाल में अब तक 45 देशों की यात्रा कर चुके हैं। अब तक वह कुल 119 दिन विदेशों में रहे। इस लिहाज से देखें तो प्रधानमंत्री अब तक के अपने कार्यकाल के करीब 10 फीसदी दिन विदेशों के अंदर गुजारे। वे अब तक करीब 3.4 लाख किलोमीटर तक की यात्रा कर चुके हैं।
यह भी पढ़ें: पिता के अंदाज में लादेन के बेटे की धमकी, अलकायदा की वापसी की कोशिश
मनमोहन सरकार की तुलना में दोगुना हुआ विदेशी निवेश
पीएम मोदी के दौरे की सबसे ख़ास बात ये है कि एक तरफ जहां उन्होंने 'लुक ईस्ट पॉलिसी' और पड़ोसी देशों के साथ संबंधों पर ज़ोर दिया तो वहीं अपने दौरे में उनके मुख्य एजेंडों में से एक रहा है विदेश निवेश को भारत लाना। 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा देने के लिए जोर-शोर से प्रचार करते हुए पीएम मोदी ने काफी निवेशकों का ध्यान भारत की ओर खींचा। यही वजह है कि पिछली मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल 2013-14 के वक़्त जहां विदेश निवेश 36 बिलियन डॉलर था तो वहीं 2016-17 में विदेश निवेश दोगुना होकर 62 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया।
राफेल समेत कई अहम डील को दी मंजूरी
प्रधानमंत्री मोदी की यह अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का ही नतीजा है कि फ्रांस के साथ हुए 59 हजार करोड़ रूपये के 36 राफेल लड़ाकू विमानों के सौदे में भारत को 75 करोड़ यूरो कम देने पड़े। पिछले 20 वर्षों के दौरान लड़ाकू विमानों का यह पहला सौदा था। इसके अलावा, पीएम ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) पर कुछ देशों को छोड़ उसके अधिकतर सदस्यों को भारत के पक्ष में ला खड़ा किया। जबकि, चाबहार और हॉवित्जर तोप डील को भी मंजूरी दी गई।
कई मायने में ख़ास है यह दौरा- केसी सिंह
Jagran.com से ख़ास बातचीत में विदेश मंत्रालय के पूर्व सचिव केसी सिंह ने कहा कि जर्मनी मोदी का यह दौरा कई मायनों में विशेष महत्व रखता है। उन्होंने एक संपादकीय में लिखा है कि जर्मनी का भारत में प्रत्यक्ष विदेश निवेश 53,000 करोड़ रूपये को पार कर गया है। जर्मनी यरोपीय संघ में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है। दोनों ही देशों ने जी-20 और जी-4 में काफी करीब से एक दूसरे का सहयोग किया है। केसी सिंह के मुताबिक, चीन के बढ़ते दबदबे को संतुलित करने और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अपने मित्र देशों के साथ व्यवहार में अनिश्चितता को देखते हुए जर्मनी और रूस इस वक्त भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
भारत जल्द चाहता है भारत-ईयू फ्री ट्रेड एग्रीमेंट
दरअसल, भारत के लिए तुरत सबसे बड़ी चुनौती है भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते को मंज़ूरी देना। विशेषतौर पर इसलिए क्योंकि 2015 में नए मॉडल लाने के बाद भारत ने द्विपक्षीय व्यापार निवेश संधि (Bilateral Business investment Treaty) को खत्म कर दिया था। लग्जरी कार और एसयूवी गाड़ियों पर जीएसटी की कम दरें जर्मनी के लिए इस बात का संकेत है कि भारत मुक्त व्यापार समझौते को तैयार है क्योंकि ऑटोमाबाइल सेक्टर पर ही गतिरोध बना हुआ था।
यह भी पढ़ें: अपने ही हुए खून के प्यासे, जानें- क्यों जल रहा है सहारनपुर का शब्बीरपुर