जानें, देश की दूसरी सबसे बड़ी रेड लाइट एरिया की किस तरह बदल रही तस्वीर
आंध्रप्रदेश के कमाठी मजदूरों के नाम कमाठीपुरा नाम पड़ा है। यहां 200 से ज्यादा कोठरियों में 5 हजार यौनकर्मी रहती हैं।
मुंबई। वक्त के साथ हालात बदलते हैं। किसी के लिए बेहतर होते हैं तो किसी को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। भारत के दूसरे सबसे बड़ीी रेड लाइट एरिया यानी मुंबई के कमाठीपुरा की यही कहानी है।
मायानगरी में जिस्म के धंधे का सबसे बड़ा अड्डा कमाठीपुरा अब बदल रहा है। पुरानी इमारतों की जगह अब नई बिल्डिंग खड़ी की जा रही हैं। वहां रहने के लिए पढ़ा-लिखा और नौकरीपेशा वर्ग आ रहा है। इसका सीधा असर सेक्सवर्कर्स के धंधे पर पड़ा है।
नतीजन, कुछ सेक्सवर्कर्स अपनी जिंदगी बदलने की कोशिश कर रही हैं तो कुछ को बाहरी इलाकों में विस्थापित होना पड़ रहा है ताकि धंधा करके परिवार का लालन-पालन कर सकें।
नशे का इंजेक्शन लगाकर GB रोड तक पहुंचाई जाती हैं लड़कियां
मीडिया रिपोर्ट में ऐसी ही एक युवती ने बताया, अब ग्राहक कम हो गए हैं। दलालों ने भी ध्यान देना कम कर दिया है। इससे कारोबार प्रभावित हुआ है। हालांकि अच्छी बात यह है कि सर्विस क्लास से प्रेरित होकर कुछ सेक्सवर्कर्स ने धंधा छोड़ दिया है और इज्जत का काम करने लगी हैं।
कमाठीपुरा कल और आज
- आंध्रप्रदेश के कमाठी मजदूरों के नाम कमाठीपुरा नाम पड़ा है। यहां 200 से ज्यादा कोठरियों में 5 हजार यौनकर्मी रहती हैं।
- अंग्रेजों ने अपने सैनिकों के लिए इसे कभी ‘ऐशगाह’ के रूप में तैयार करवाया था और विदेशों से महिलाओं को बुलवाया था।
- आज यहां की अधिकतर इमारतें जर्जर हैं। अधिकतर मालिक या तो इन इमारतों को बिल्डर को बेचना चाहते हैं या वहां रेसिडेंशियल कॉम्पलेक्स खड़ा करना चाहते हैं।
- बीते कुछ सालों में यहां कई बड़ी इमारतें भी बनी हैं। कम रेंट की वजह से सर्विस क्लास के लोग भी अब यहां बसने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
ध्यान आकर्षित के लिए 'कमाठीपुरा नाइट वॉक'
सेक्सवर्कर्स की इस स्थिति की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए 'कमाठीपुरा नाइट वॉक' आयोजित किया जा रहा है। शुक्रवार को पहले दौर का आयोजन हो चुका है। शनिवार को भी ऐसा ही किया जाएगा। इसमें कुछ गैर सरकारी संगठन भी मदद कर रहे हैं।