क्या सिंधु सभ्यता के पतन के लिए मॉनसून ही था जिम्मेदार ?
सिंधु घाटी सभ्यता के उत्थान और पतन के बारे में हमेशा से मतभेद बने रहे हैं। लेकिन अब जो जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक ये सभ्यता 8 हजार साल पुरानी थी।
कोलकाता। भारतीय उपमहाद्वीप को सभ्यता की जननी कहा जाता है। सिंधु घाटी या हड़प्पा की सभ्यता उनमें से एक थी। हड़प्पा सभ्यता की शुरुआत और पतन पर इतिहासकारों में कभी आम राय नहीं रही है। कुछ लोगों के मुताबिक सिंधु सभ्यता करीब 5500 साल पहले सिंधु नदी के आस पास पनपी थी। लेकिन अब आईआईटी खड़गपुर और भारतीय पुरातत्व विभाग के अध्ययन में नई जानकारी सामने आई है। शोधकर्ताओं का कहना है कि सिंधु सभ्यता (इंडस सभ्यता) 8 हजार साल पहले अस्तित्व में थी। इंडस सभ्यता इजिप्ट और मेसोपोटामिया से भी पुरानी थी। इस सभ्यता के पनपने के साथ-साथ पतन की कहानी रोचक है। आर्यों के आक्रमण, दांत के रोगों की समस्या और बाढ़ को पतन के लिए जिम्मेदार माना जाता रहा है। लेकिन अब जो तथ्य सामने आ रहे हैं। उसके मुताबिक मॉनसून की बेरुखी इस सभ्यता के पतन के लिए ज्यादा जिम्मेदार रही है।
आर्य सभ्यता नैतिक मुल्य शाश्वत-डॉ गुरुकुलानंद
सभ्यताओं का कालक्रम
सिंधु सभ्यता( 8 हजार BC)
इजिप्ट ( 7हजार से 3 हजार BC)
मेसोपोटामिया ( 6500 ईसापूर्व से 3100 BC)
इंडस सभ्यता का पतन
शोधकर्ताओं का कहना है कि पुख्ता तौर पर अब कहा जा सकता है कि इस ऐतिहासिक सभ्यता की मौत मॉनसून की बेरुखी से हो गयी। शोध के मुताबिक इंडस सभ्यता के लोग मौसम में हो रहे परिवर्तन के अनुसार अपनी आदतों और खेती करने के तरीके में बदलाव करते गए। लेकिन लगातार मॉनसून की बेरुखी की वजह से लोगों के संचित भंडारों में कमी आती गयी और ये महान सभ्यता काल कवलित हो गई।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक शोध में ये भी जानकारी सामने आयी है कि पूर्व हड़प्पा सभ्यता इससे भी एक हजार साल पुरानी थी। 25 मई 2016 को इस संदर्भ में नेचर जर्नल में एक रिपोर्ट प्रकाशित की गयी थी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडस वैली सिविलाइजेशन अपने जन्म से लेकर पतन तक करीब 3 हजार साल तक जिंदा रही। आईआईटी खड़गपुर के जियोलॉजी और जियोफिजिक्स विभाग के अध्यक्ष अनिंद सरकार का कहना है कि ऑप्टिकल ल्यूमिनेंस के जरिए हड़प्पा काल के बर्तनों की जांच की गयी। जांच में ये पाया गया कि करीब आठ हजार साल पहले प्री हड़प्पा हकरा फेज में लोग बर्तनों की शानदार ढंग से डिजाइन किया करते थे।