आपकी हर ट्रांजैक्शन पर इस तरह नजर रख रहा है आयकर विभाग, जानिए
नोटबंदी के फैसले के बाद से ही आयकर विभाग काफी सतर्क हो गया है और वह हर लेन देन पर पैनी निगाह बनाए हुए है।
By Praveen DwivediEdited By: Published: Sun, 22 Jan 2017 08:03 PM (IST)Updated: Sun, 22 Jan 2017 08:06 PM (IST)
नई दिल्ली। नोटबंदी के फैसले के बाद से ही आयकर विभाग की सतर्कता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि बैंक डिपॉजिट से क्रेडिट कार्ड पेमेंट तक, प्रॉपर्टी लेन देन से लेकर वित्तीय संस्थानों तक अगर आपने तय सीमा से ज्यादा का ट्रांस्जेक्शन किया तो आयकर विभाग को इसके बारे में सूचित करना होगा। आयकर विभाग की ओर से 17 जनवरी को जारी की गई नोटिफिकेशन में यह बात स्पष्ट की गई है। आयकर विभाग ने एक ई-प्लेटफॉर्म सेट अप तैयार किया है जिसके जरिए वित्तीय संस्थान लेन देन की रिपोर्ट कर सकते हैं। जानिए इस नोटिफिकेशन से जुड़ी 10 बातें.......
- बैंकों को उन खातों में जमा राशि की जानकारी देनी होगी जिनमे एक वित्तीय वर्ष के दौरान एक या अधिक खातों (करंट अकाउंट और फिक्स्ड डिपॉजिट के अलावा) में 10 लाख से ऊपर की रकम जमा की गई है।
- एक वित्त वर्ष के दौरान फिक्स्ड डिपाजिट के नवीनीकरण के अलावा अन्य जमाओं में 10 लाख रुपए तक की जानकारी बैंकों को देनी होगी।
- क्रेडिट कार्ड के बिल के लिए 1 लाख तक के कैश भुगतान की जानकारी बैकों को देनी होगी। वहीं एक वित्त वर्ष के दौरान क्रेडिट कार्ड के ड्यू यानी बकाया भुगतान (चेक और वायर ट्रांसफर) के रुप में किसी भी माध्यम से 10 लाख रुपए तक के भुगतान की जानकारी देनी होगी।
- आयकर विभाग ने नवंबर 2016 के अपने अनुदेश को भी दोहराया और कहा कि सभी बैंक उन खातों की जानकारी दें जिनमें 8 नवंबर के बाद से 30 दिसंबर 2016 तक 2.5 लाख या उससे ज्यादा की राशि जमा की गई है।
- करंट अकाउंट के लिए बैंकों को इस अवधि के दौरान जमा हुई 12.5 लाख या इससे ऊपर की रकम की जानकारी देनी होगी। 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट बैन किए जाने के बाद सरकार ने लोगों को अनुमति दी थी कि वो अपने पुराने नोट बैंकों में जमा करा सकते हैं। हालांकि यह छूट नोटबंदी के 50 दिनों तक के लिए ही यानी 30 दिसंबर 2016 तक के लिए ही दी गई थी।
- इस नोटिफिकेशन में कहा गया है कि 1 अप्रैल 2016 से 9 नवंबर 2016 के दौरान जिस किसी भी खाते में पैसे जमा किए गए हैं उसके बारे में आयकर अधिकारियों को 31 जनवरी 2017 तक सूचित करना चाहिए।
- कंपनी और संस्थानों को भी यह जानकारी देनी होगी कि एक वित्त वर्ष के दौरान बांड या डिबेंचर खरीद के लिए उन्हें एक व्यक्ति की ओर से 10 लाख रुपए या उससे ज्यादा की प्राप्ति हुई है।
- ठीक इसी तरह से म्युचुअल फंड यूनिट्स की खरीद और शेयर्स के बॉयबैक जैसी किसी भी खरीद प्रक्रिया की जानकारी देनी होगी।
- ट्रैवलर्स चेक और फॉरेक्स कार्ड समेत विदेशी मुद्रा की खरीद (10 लाख रुपए की सीमा तक) की जानकारी कर अधिकारियों को देनी होगी।
- प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार को भी कर अधिकारियों को किसी व्यक्ति की ओर से 30 लाख या उससे ऊपर की अचल संपत्ति की बिक्री या खरीद की जानकारी देनी होगी।
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