जानिए..पाक से रिहा होकर आए दिनेश के घर वापस आने के पूर्व की कहानी
वर्ष 2011 में 20 जून को जब दिनेश घर से भिवाड़ी के लिए रवाना हुआ तो उसे नहीं पता था कि उसके जीवन में जबर्दस्त उतार-चढ़ाव होने वाला है। बुधवार 2
गाजीपुर। वर्ष 2011 में 20 जून को जब दिनेश घर से भिवाड़ी के लिए रवाना हुआ तो उसे नहीं पता था कि उसके जीवन में जबर्दस्त उतार-चढ़ाव होने वाला है। बुधवार 28 मई को घर की चौखट पर कदम रखने से पूर्व तक का दिनेश का सफर कुछ इस प्रकार रहा।
22 जून 2011 में अलवर स्थित निजी कंपनी में दिनेश ने सुपरवाइजर का काम शुरू किया। 25 फरवरी वर्ष 2012 को दिनेश अवकाश के दौरान घूमने निकला और दिशा ज्ञान नहीं होने के कारण भटक गया और पाकिस्तान की सीमा में दाखिल हो गया। पाकिस्तानी सैनिकों ने उसे पकड़ लिया। पाकिस्तानी सेना के जवानों ने दिनेश को तीन महीने तक सीमा पर ही एक कमरे में रखकर कड़ाई से पूछताछ की।
मई 2012 की किसी तारीख को उसे कराची स्थित मलीर जेल में भेज दिया गया। 19 मई 2013 को एलआइयू के निरीक्षक आरपी चौधरी बहरियाबाद स्थित दिनेश विश्वकर्मा के घर पहुंचे। उन्होंने दिनेश के बारे में जानकारी ली और बताया कि वह पाकिस्तान की किसी जेल में बंद है। इसके बाद दिनेश की रिहाई के लिए प्रयास शुरू हुआ।
23 मई को तत्कालीन सांसद राधेमोहन सिंह दिनेश के घर पहुंचे। विभिन्न संगठनों ने दिनेश की सकुशल रिहाई के लिए धार्मिक अनुष्ठान भी शुरू कर दिया। 28 मई को मां कौशल्या देवी ने जिलाधिकारी से मुलाकात की। 29 मई को जखनियां के एसडीएम दिनेश के घर पहुंचकर परिवार वालों से मिले। जून 2013 में भाजपा नेता डा. मुकेश सिंह ने पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायोग के उप उच्चायुक्त विमल अक्यूनो को ई-मेल भेजकर दिनेश के बारे में पता लगाने का आग्रह किया।
वर्ष 2014 में 23 मई को पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायोग से भाजपा नेता डा. मुकेश सिंह को दिनेश को रिहा किए जाने संबंधी पाकिस्तान की सरकार के निर्णय का संदेश मिला। 24 मई को भाई रजनीश और जीजा सुजीत देर शाम घर से वाराणसी रवाना हुए। 25 मई को रजनीश व सुजीत बाबतपुर स्थित लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा से दिल्ली होते अमृतसर पहुंचे। यहां दोनों ने स्वर्ण मंदिर के पास स्थित धर्मशाला में रात बिताई। 26 मई की सुबह अमृतसर से बस के जरिए वाघा सीमा के लिए रजनीश व सुजीत रवाना हुए। वाघा सीमा पर शाम सात बजे पाकिस्तानी रेंजर्स ने दिनेश समेत 150 भारतीय मछुआरों को सीमा सुरक्षा बल के हवाले किया। इसके बाद बीएसएफ व पंजाब पुलिस ने अटारी के तहसीलदार को बुलाया। तहसीलदार ने पहुंचकर अपने एसडीएम से बात की। इसके बाद दिनेश को उसके भाई व जीजा के हवाले किया गया। यहां से वे अमृतसर के लिए रवाना हुए। 27 मई को भाई व जीजा के साथ दिनेश अमृतसर से ट्रेन से दोपहर एक बजे दिल्ली पहुंचा। यहां से उसी दिन शाम शिवगंगा एक्सप्रेस से रवाना हुए। 28 मई बुधवार की सुबह शिवगंगा एक्सप्रेस से वाराणसी कैंट स्टेशन वे उतर कर निजी वाहन से गाजीपुर के बहरियाबाद स्थित घर के लिए रवाना हुए।