GST से जुड़े चार विधेयक लोकसभा में हुए पेश, जानिए नए कानून के बारे में
अरुण जेटली ने जीएसटी से संबंधित सहायक विधेयकों को लोकसभा में पेश कर दिया है। GST विधेयक और इससे किस तरह के फायदे होंगे, जानिए।
नई दिल्ली (जेएनएन)। सोमवार को बजट सत्र के दूसरे चरण में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी से संबंधित सहायक 4 विधेयकों को लोकसभा में पेश कर दिया है। इन बिलों पर 29 मार्च को बहस होगी। कैबिनेट ने 20 मार्च को ही इन चार बिलों जेटली सेंट्रल जीएसटी (C-GST), इंटिग्रेटेड जीएसटी (आई-GST), यूनियन जीएसटी (यूटी-GST) और मुआवजा कानून बिल को मंजूरी दी थी। गौरतलब है कि जीएसटी काउंसिल ने जीएसटी की चार दरें 5,12,18 और 28 फीसद तय की थीं।
सरकार चाहती है कि जीएसटी से संबंधित विधेयक लोकसभा में 29 मार्च या अधिक से अधिक 30 मार्च तक पारित हो जाएं। इसके बाद इन विधेयकों को राज्यसभा में रखा जाएगा। इससे सरकार को राज्यसभा में किसी तरह के संशोधन को लोकसभा में लाने के लिए पर्याप्त समय मिल जाएगा।
आपको बता दें कि संसद का मौजूदा सत्र 12 अप्रैल को समाप्त हो रहा है। हालांकि इन्हें धन विधेयक के रूप में पेश किया जाएगा, लेकिन सरकार दोनों सदनों में चर्चा चाहती है। सरकार का इरादा जीएसटी को एक जुलाई से लागू करने का है। जीएसटी लागू होने के बाद उत्पाद, सेवा कर, वैट और अन्य स्थानीय शुल्क इसमें समाहित हो जाएंगे
क्या है जीएसटी?
वस्तु एवं सेवा कर(जीएसटी) एक अप्रत्यक्ष कर है। जीएसटी के लागू होने से हर सामान और हर सेवा पर सिर्फ एक टैक्स लगेगा यानी वैट, एक्साइज और सर्विस टैक्स की जगह एक ही टैक्स लगेगा। देश के लोगों को जीएसटी से सबसे बड़ा फायदा होगा क्योंकि, पूरे देश में सामान पर देश के लोगों को एक ही टैक्स चुकाना होगा।
जीएसटी बिल से होने वाले फायदे
इस बिल के लागू होते ही देशभर में एकल टैक्स व्यवस्था लागू हो जाएगी। लोगों को कई तरहों के टैक्स से छुटकारा तो मिलेगा ही साथ ही चीजें सस्ती भी हो जाएंगी। एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, वैट, मनोरंजन टैक्स जैसे कई तरह के टैक्सों से छुटकारा मिलेगा। लगभग सभी राज्यों में ज्यादातर चीजें एक ही दाम पर मिलेंगी। कई चीजों की एक राज्य से दूसरे राज्य में हो रही तस्करी पर काफी हद तक रोक लगेगी। जीएसटी लागू होने से टैक्स भी घट सकता है। टैक्स चोरी रुकेगी और देश की अर्थव्यवस्था को इसका फायदा मिलेगा।
जीएसटी से क्या-क्या होगा बाहर
शराब पूरी तरह से जीएसटी से बाहर रहेगी, यानी इस पर टैक्स लगाने के लिए राज्य सरकारें स्वतंत्र होंगी। हालांकि पेट्रोल, डीजल, केरोसीन, रसोई गैस पर अलग-अलग राज्य में जो टैक्स लगते हैं, वो फार्मूला अभी कुछ सालों तक जारी रहेगा। मतलब केंद्र और राज्य सरकारें दोनों मिलकर उस पर टैक्स लगाती रहेगी।
जीएसटी के आने के बाद भी नहीं हटेंगे ये कर, जानिए
क्या सस्ता होगा और क्या महंगा
इसके लागू होते ही केंद्र को मिलने वाली एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स सब खत्म हो जाएंगे। राज्यों को मिलने वाला वैट, मनोरंजन कर, लक्जरी टैक्स, लॉटरी टैक्स, एंट्री टैक्स, चुंगी वगैरह भी खत्म हो जाएगी। जीएसटी लागू होने पर कंपनियों का परेशानियां और खर्च भी कम होगा। व्यापारियों को सामान एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
ये टैक्स होंगे खत्म
जीएसटी लागू होने के बाद सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स (सेवाकर), एडिशनल कस्टम ड्यूटी (सीवीडी), स्पेशल एडिशनल ड्यूटी ऑफ कस्टम (एसएडी), वैट/ सेल्स टैक्स, सेंट्रल सेल्स टैक्स, मनोरंजन कर, ऑक्ट्रॉय एंड एंट्री टैक्स, परचेज टैक्स, लक्ज़री टैक्स खत्म हो जाएंगे।
ये होगी कर और उपकर की दर
जीएसटी परिषद ने जीएसटी व्यवस्था में सबसे ऊंची 28 फीसद के ऊपर लगने वाली उपकर की दर को अधिकतम 15 फीसद तय किया है। नई व्यवस्था में सबसे ऊंची दर भोग विलासिता के सामान पर लागू होगी। इसे देखते हुए परिषद ने इस दर के ऊपर उपकर लगाने की अधिकतम सीमा तय कर दी है। जीएसटी व्यवस्था में उपकर की अधिकतम 15 फीसद दर का इस्तेमाल लग्जरी कारों, एयरेटेड पदार्थों जैसे उत्पादों पर किया जाएगा। पान मसाला उत्पादों पर उपकर की अधिकतम दर मूल्यानुसार 135 फीसद तय की गई है।