शिंजो एबी की जीत से और परवान चढ़ेगी भारत-जापान की दोस्ती
पिछले तीन वर्षो के दौरान एबी ने पीएम नरेंद्र मोदी के साथ मिल कर दोनो देशों के रिश्तों को बिल्कुल नया आयाम दिया है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। जापान के आम चुनाव में सत्तारुढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी गठबंधन को मिली भारी जीत ने यह तो तय किया है कि शिंजो एबी आगे भी पीएम बने रहेंगे लेकिन इससे यह भी तय हो गया है कि भारत और जापान के द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत बनाने की प्रक्रिया जारी रहेगी। पिछले तीन वर्षो के दौरान एबी ने पीएम नरेंद्र मोदी के साथ मिल कर दोनो देशों के रिश्तों को बिल्कुल नया आयाम दिया है। सितंबर, 2017 में एबी ने भारत की यात्रा की थी और दोनो नेताओं के बीच आपसी सहयोग के दायरे को एशिया से बाहर तक बढ़ाने की सहमति बनी थी। पिछले दिनों जब भारत और चीन के बीच डोकलाम विवाद हुआ था तो जापान एक ऐसा देश था जो साफ तौर पर भारत के साथ था।
भारत ने हाल के वर्षो में जापान के साथ अपने रणनीतिक रिश्तों को बनाने में काफी ऊर्जा खर्च की है और एबी की जीत के बाद अब इसे उसी रफ्तार से आगे बढ़ाना संभव होगा। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, 'वैसे जापान में कोई भी पार्टी या नेता जीतता तो भारत के साथ रिश्तों को जिस तरह से आगे बढ़ाया गया है उसी तरह से आगे बढ़ती लेकिन एबी के फिर से पीएम बनने के बाद द्विपक्षीय रिश्तों को लेकर कोई दुविधा नहीं रही। ' पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्विट कर एबी की जीत का स्वागत किया है। मोदी ने कहा है कि, ''मैं अपने दोस्त शिंजो एबी को भारी चुनावी जीत पर तहेदिल से बधाई देता हूं। आगे मैं भारत-जापान के रिश्ते को और मजबूत बनाने की कोशिश करुंगा।''
Heartiest greetings to my dear friend @AbeShinzo on his big election win. Look forward to further strengthen India-Japan relations with him.— Narendra Modi (@narendramodi) October 23, 2017
बुलेट ट्रेन से चाबहार पोर्ट तक
मोदी और एबी ने पिछले तीन वर्षो में द्विपक्षीय रिश्तों को जितनी गहराई दी है शायद ही वैसी कोशिश पहले हुई हो। हाल ही एबी की भारत यात्रा के दौरान जापान की मदद से अहमदाबाद से मुंबई तक बुलेट ट्रेन योजना काफी चर्चा में रही लेकिन दोनो देशों के बीच सहयोग के आयाम काफी बड़े हैं। एबी की अगुवाई में हाल के वर्षो में जापान ने चीन के मुकाबले भारत के साथ हर तरह से द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने की कोशिश की है। इसी का नतीजा है कि दोनो देशो के बीच श्रीलंका और ईरान में दो पोर्ट को एक साथ मिल कर बनाने पर बातचीत हो रही है। श्रीलंका के त्रिंकोमाली और ईरान के चाबहार पोर्ट को मिलाने पर दोनो देशों में बात हो रही है। उल्लेखनीय तथ्य यह है कि त्रिंकोमाली पोर्ट के पास ही हमबनतोता पोर्ट है जबकि चाबहार से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर पाकिस्तान का ग्वादर पोर्ट है। इन दोनों पोर्ट पर चीन का अधिपत्य है।
ओबोर के मुकाबले एबी-मोदी की योजना
भारत और जापान के बीच पिछले दो रणनीतिक वार्ताओं में चीन की विवादित 'वन बेल्ट वन रोड' (ओबोर- नया नाम बेल्ट रोड इनिसयटिव-बीआरआइ) पर भी चर्चा हुई है। इसी का नतीजा है कि है अप्रैल, 2017 में ही दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ था जिसमें एशिया, अफ्रीका में भी ढांचागत परियोजनाओं को संयुक्त तौर पर विकसित करने की बात थी। इस योजना के तहत दोनो देश एशिया से लेकर अफ्रीका तक औद्योगिक नेटवर्क का जाल फैलाना चाहते हैं। यह मुख्य तौर पर जापानी निवेश व तकनीकी के साथ भारतीय श्रम व तकनीकी का संगम होगा। लेकिन यह चीन की बीआरआइ से पूरी तरह से अलग होगा क्योंकि दोनो देशों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनकी योजना जिस देश में लागू होगी उस देश की पूरी मंजूरी होगी। सनद रहे कि चीन की योजना अभी ठीक से शुरु भी नहीं हो पाई है और उसका कई तरह से विरोध हो रहा है।
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