एक बेटी के लिए, दूसरी पति के लिए देगी किडनी
दो महिलाएं किडनी दान कर एक-दूसरे के परिवारों को खुशियां बांटेंगी। एक पति को बचाने के लिए अन्य परिवार की बेटी को किडनी देगी। दूसरी अपनी बेटी के लिए दामाद को बचाएगी। दो साल से भी अधिक समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे परिवारों को देश भर के
कमलेश जैन/ पिपलियामंडी [मंदसौर]। दो महिलाएं किडनी दान कर एक-दूसरे के परिवारों को खुशियां बांटेंगी। एक पति को बचाने के लिए अन्य परिवार की बेटी को किडनी देगी। दूसरी अपनी बेटी के लिए दामाद को बचाएगी। दो साल से भी अधिक समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे परिवारों को देश भर के अस्पतालों में भटकने के बाद आशा की किरण मिली है। मार्च के प्रथम सप्ताह में इंदौर में एक-दूसरे को किडनी दान करेंगे।
मनोहरलाल शर्मा की पुत्री अंकिता शर्मा [24] की दोनों किडनी तीन वर्ष पहले खराब हो चुकी है। परिवार के सदस्य किडनी देने को तैयार थे, पर ग्रुप मैच नहीं हो रहा था। अंकिता दो साल से डायलिसिस पर है। परिवार देश के कई अस्पतालों में भटक चुका था। ओमप्रकाश गुर्जर [54] भी किडनी ट्रांसप्लांट के लिए प्रयास कर रहे थे। दोनों परिवारों ने पहली मुलाकात में ही एक-दूसरे को किडनी देने का निर्णय किया। इंदौर और अहमदाबाद में किडनी का ग्रुप मैच कराया तो अंकिता की मां आशा शर्मा [52] और ओमप्रकाश की पत्नी हीराबाई [50] का ग्रुप दोनों मरीजों से क्रॉस मैच हुआ। दोनों परिवारों ने ऑपरेशन पूर्व होने वाली सभी जांचों और आवश्यक दस्तावेजों की पूर्ति की। अब मार्च के प्रथम सप्ताह में इंदौर के ग्रेटर कैलाश हॉस्पिटल में चारों सदस्यों का ऑपरेशन होगा।
खेत तक बिक गया उपचार में
स्कूल बस संचालक ओमप्रकाश गुर्जर को डेढ़ साल पहले बीमारी का पता चला था। इलाज कराने में परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई। चिकित्सकों ने जान बचाने के लिए किडनी बदलने को कहा तो खेत बेचने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। उन्होंने खेत बेचकर राशि का इंतजाम किया।
मनोहरलाल शर्मा का परिवार यात्री बस संचालन करता है। लाड़ली बेटी की बीमारी में अपनी जमा पूंजी खर्च कर दी। चिकित्सकों द्वारा ऑपरेशन की सलाह पर मित्रों, रिश्तेदारों व परिचितों से सहयोग ले रहे हैं।
चारों सदस्यों की हुई जांच
अंकिता के भाई दीपक शर्मा ने बताया कि दो माह पहले दोनों परिवारों ने किडनी बदलने का निर्णय लिया। चारों सदस्यों की तीन-तीन बार जांच हुई। एसडीएम के समक्ष शपथ पत्र सहित कठिन प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ा।
प्रक्रिया पूरी
कॉस ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है। संभवत: मार्च के पहले सप्ताह में यह सर्जरी की जाएगी। -डॉ. अनिल बंडी, निदेशक, ग्रेटर कैलाश हॉस्पिटल