Move to Jagran APP

50 दिनों में लाचार पिता ने लगाए थाने के सैकड़ों चक्कर

लोनी थाने से मई, 2008 में लापता हुई एक किशोरी के मामले में पुलिस के रवैये पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जो आदेश दिया है, उससे न जाने कितने पीड़ितों को राहत मिलेगी। शीर्ष अदालत ने संज्ञेय अपराधों पर पुलिस को तुरंत मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं। यह मामला एक पीड़िता पिता की लाचारी भरी दास्तां है। उसकी पुत्री का अपपहरण किया गया था। जब उसने पुलिस से मदद मांगी तो उसके साथ अमानवीय बर्ताव किया गया।

By Edited By: Published: Thu, 14 Nov 2013 06:50 AM (IST)Updated: Thu, 14 Nov 2013 08:47 AM (IST)
50 दिनों में लाचार पिता ने लगाए थाने के सैकड़ों चक्कर

गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। लोनी थाने से मई, 2008 में लापता हुई एक किशोरी के मामले में पुलिस के रवैये पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जो आदेश दिया है, उससे न जाने कितने पीड़ितों को राहत मिलेगी। शीर्ष अदालत ने संज्ञेय अपराधों पर पुलिस को तुरंत मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं। यह मामला एक पीड़िता पिता की लाचारी भरी दास्तां है। उसकी पुत्री का अपहरण किया गया था। जब उसने पुलिस से मदद मांगी तो उसके साथ अमानवीय बर्ताव किया गया। अंत में थक हारकर उसे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने तत्काल मुकदमा दर्ज कर उसकी बेटी को बरामद कर लिया था।

loksabha election banner

पढ़ें: न मिली बालिका, न धरे गए अपहृता

संज्ञेय अपराधों में एफआईआर अनिवार्य

लोनी के मलिन बस्ती निवासी 52 वर्षीय एक व्यक्ति पास की कॉलोनी में चौकीदारी करता था। वह पत्नी व चार बच्चों के साथ रहता था। उसने अपना व पत्नी का पेट काटकर बच्चों की बेहतर परवरिश की। उनके पालन-पोषण और शिक्षा में कोई कसर नहीं छोड़ी। पूरा परिवार मिल-जुलकर रह रहा था। मई 2008 में परिवार पर पहाड़ टूट पड़ा। उसकी 14 वर्षीय सबसे छोटी पुत्री को पड़ोस का ही एक युवक बहला-फुसलाकर ले भगा। जब उसे इसकी जानकारी हुई तो वह पुत्री को तलाशने की अर्जी लेकर थाने पहुंचा। यहां पुलिस ने उसे लताड़ा और थाने से भगा दिया। वह लगातार चौकी, थाने व बड़े अधिकारियों के कार्यालय में गुहार लगाता हुआ चप्पल घिसता रहा, लेकिन उसकी सुनने वाला कोई नहीं था। अंतत: उसने सुप्रीम कोर्ट को अपना दुखड़ा सुनाया। कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए गाजियाबाद के एसएसपी को कार्रवाई के आदेश दिए। इसके बाद पुलिस हरकत में आई और आनन-फानन में रिपोर्ट दर्ज कर किशोरी की तलाश में जुट गई। लापता होने के 50 दिन के बाद पुलिस ने उसे साहिबाबाद क्षेत्र से बरामद कर लिया।

इस दौरान पिता ने थाने, चौकी, वकील और पुलिस अधिकारियों के यहां सैकड़ों चक्कर लगाए। वह एक दिन भी काम पर नहीं गया। पूरा समय वह अपनी पुत्री की तलाश में लगा रहा। पुत्री मिलने के बाद दो वर्ष तक उसने उसकी पढ़ाई कराई। इसके बाद वर्ष 2010 में उसकी शादी बिहार में एक युवक के साथ कर दी। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए आदेश के बाद पिता ने खुशी जाहिर की है। उसका कहना है कि जो परेशानी उसे झेलनी पड़ी और परिवार को जिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, कम से कम अब कोई पिता-परिवार यह नहीं सहेगा। पुलिस को हरहाल में पीड़ित की सुनवाई करनी ही पड़ेगी।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.