केरल खुद करेगा एंटी रैबीज टीके का विकास,कुत्तों के खौफ से मिलेगी आजादी
राज्य पशुपालन विभाग के अंतर्गत आने वाले इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल हेल्थ एंड वेटरनेरी बायोलॉजिकल्स (आइएएच एंड वीबी) एंटी रैबीज टीका विकसित करेगा।
तिरुअनंतपुरम (प्रेट्र)। देश भर में कुत्तों के काटने की विकराल होती समस्या के बीच केरल सरकार ने इससे निपटने के लिए अनूठा कदम उठाने की घोषणा की है। दक्षिणी राज्य ने अपने खर्च पर एंटी रैबीज टीका विकसित करने का फैसला किया है। इस पर तकरीबन 150 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है। केरल अपने संसाधनों के बूते टीका विकसित करने वाला देश का शायद पहला राज्य होगा। इंसान और जानवरों के लिए अलग-अलग प्रयोगशालाओं में एक साथ ही टीका विकसित किया जाएगा। राज्य पशुपालन विभाग के अंतर्गत आने वाले इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल हेल्थ एंड वेटरनेरी बायोलॉजिकल्स (आइएएच एंड वीबी) एंटी रैबीज टीका विकसित करेगा।
पशुपालन विभाग के निदेशक एनएन सासी ने बताया कि टीका अत्याधुनिक सेल कल्चर तकनीक की मदद से तैयार किया जाएगा। टीका विकसित करने के लिए विस्तृत रिपोर्ट तकरीबन तैयार है। दोनों प्रयोगशालाओं के लिए साझा सुविधाएं जैसे बिजली, पानी और भाप की उपलब्धता पर तैयार रिपोर्ट सरकार को सौंपी जा चुकी है। सासी ने कहा, ‘हमारा उद्देश्य अगले छह महीने के अंदर काम शुरू करने का है। सब कुछ ठीक रहा तो दो से तीन साल में टीके का उत्पादन शुरू हो जाएगा।’ नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट कंसलटेंसी सर्विस को रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है।
दूसरे राज्यों को भी बेचने की योजना : केरल सरकार सिर्फ अपनी जरूरतों के लिए ही टीका विकसित करने की योजना नहीं बना रही है, बल्कि एंटी रैबीज टीके की कमी से जूझ रहे अन्य राज्यों को भी किफायती दर पर बेचा जाएगा। मौजूदा समय में केरल को हैदराबाद के इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड से टीका खरीदना पड़ता है। इसके लिए पहले टेंडर निकालना पड़ता है। पूरी प्रक्रिया में काफी वक्त जाया होता है।
कुत्तों के काटने की समस्या से परेशान : अक्टूबर के शुरुआत में तिरुअनंतपुरम के बाहरी इलाके में एक बच्ची समेत कई लोगों को कुत्ते ने काट लिया था। राज्य सरकार ने इसके बाद यह कदम उठाया है।
-ऐसा करने वाला होगा पहला राज्य, डेढ़ अरब रुपये की लागत का अनुमान
-एक ही साथ इंसानों व जानवरों के लिए बनेंगे टीके
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