'कांग्रेस मुक्त भारत' की सूची में अब केरल भी हुआ शामिल
पांच राज्यों के चुनाव परिणामों से साफ दिख रहा है कि देश में कांग्रेस का वर्चस्व लगातार घटते जा रहा है।
नई दिल्ली। देश के पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम लगभग साफ हो गए हैं। जिस तरह के नतीजे आने शुरू हुए हैं उन पर नजर डाली जाए तो कहा जा सकता है कि भाजपा का 'कांग्रेस मुक्त भारत' का नारा अब धीरे-धीरे पूर्वोत्तर और दक्षिण की तरफ रूख कर रहा है। असम और केरल जैसे दो राज्यों से उसकी सत्ता चली गई है।
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जिस तरह से कांग्रेस राज्यवार सत्ता गवा रही है उससे यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या देश कांग्रेस मुक्त हो रहा है? आजादी के बाद यह पहली बार ऐसा होगा की कांग्रेस लगातार इस तरह अपने अभेद्य किलों को भी हार रही है। पिछ्ले 65 वर्षों में केरल विधानसभा में भाजपा जैसी पार्टियों का कोई वजूद नहीं था। इस बार भाजपा भले ही वहां एक ही सीट पर कामयाब होते हुए दिख रही है, लेकिन जिस तरह से वहां सेंधमारी की है उससे साफ है कि भाजपा वहां कांग्रेस के साथ-साथ लेफ्ट को भी चुनौती देती दिख रही है।
2014 के लोकसभा चुनाव के ठीक बाद हुए चार राज्यों के चुनाव, महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा, और जम्मू कश्मीर में पार्टी की ऐसी हार हुई जिसने पार्टी रणनीतिकारों को सोचने पर मजबूर कर दिया। पार्टी के अंदर ही कई विरोध के स्वर खड़े होने लगे। जिस तरह से आज पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आएं हैं उससे साफ होता है कि कांग्रेस अभी तक के अपने सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही है। भाजपा के शब्दों में कहें तो देश 'कांग्रेस मुक्त भारत' की तरफ अग्रसर हो रहा है।
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पश्चिम बंगाल में लेफ्ट और तमिलनाडु में डीएमके के उसके गठबंधन को जनता ने सिरे से खारिज कर दिया। हिमाचल और उत्तराखंड जैसे छोटे हिमालयी राज्यों को छोड़ दिया जाए तो कांग्रेस के पास अब राजनैतिक लाभ के दृष्टिकोण से केवल कर्नाटक ही एकमात्र महत्वपूर्ण राज्य बचा है।