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सीएम केजरी ने लगाई क्‍लास, स्‍कूलों के प्रधानाचार्य बने छात्र

राजधानी के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 16 लाख बच्चों का भविष्य बेहतर बनाने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को सभी स्कूलों के प्रधानाचार्यो की क्लास ली।

By Sumit KumarEdited By: Published: Sun, 03 May 2015 08:02 AM (IST)Updated: Sun, 03 May 2015 09:49 AM (IST)
सीएम केजरी ने लगाई क्‍लास, स्‍कूलों के प्रधानाचार्य बने छात्र

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। राजधानी के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 16 लाख बच्चों का भविष्य बेहतर बनाने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को सभी स्कूलों के प्रधानाचार्यो की क्लास ली। सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और इसे स्पर्धात्मक बनाने के उद्देश्य से केजरीवाल ने प्रधानाचार्यो को होमवर्क दिया।

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साथ ही छात्रों और उनके अभिभावकों को सरकारी स्कूलों की तरफ खींचने के लिए दिल्ली सरकार 1973 में बने दिल्ली शिक्षा अधिनियम में बदलाव करने जा रही है। सरकार यहां अन्य राज्यों की तरह दिल्ली के लिए अलग शिक्षा बोर्ड और पाठ्यक्रम तैयार करने की योजना बना रही है। इसके लिए दिल्ली के तमाम सरकारी स्कूलों के प्रधानाचार्यो से सरकार ने सुझाव मांगे हैं ताकि इससे राज्य के शिक्षा अधिनियम में बदलाव करने, अलग बोर्ड और पाठ्यक्रम बनाने में मदद मिले।

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सीएम ने प्रधानाचार्यों से कहा कि वह स्कूल के प्रशासनिक कार्यो पर कम ध्यान दें और बच्चों को बेहतर शिक्षा देने में किस तरह योगदान दे सकते हैं, इसके बारे में सरकार को बताएं। दिल्ली सरकार के एजेंडे में अन्य कार्यो की तुलना में शिक्षा क्षेत्र में सुधार पहली प्राथमिकता है। इसी के तहत सरकार अपने बजट में भी इस मद में कोई कमी नहीं होने देगी।

सफदरजंग टर्मिनल के समीप स्थित त्यागराज स्टेडियम में आयोजित इस क्लास के दौरान पहले शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने निर्धारित समय पर पहुंचे प्रधानाचार्यो को शुक्रिया कहा। फिर इस बैठक को बुलाने का मकसद बताया।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री होने के नाते अरविंद केजरीवाल सरकार के शीर्ष पद पर बैठे हैं। उनकी जिम्मेदारी दिल्ली को बेहतर बनाने की है तो प्रधानाचार्यो को दिल्लीवालों ने अपने बच्चों जो दिल्ली व देश का भविष्य हैं, उन्हें सौंपा हुआ है। इसलिए सरकार के साथ-साथ प्रधानाचार्यो का भी फर्ज बनता है कि दिल्ली के कल (भविष्य) को ईमानदारी के साथ बेहतर बनाएं।

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उन्होंने कहा कि जब से आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तब से शिक्षा में सुधार को लेकर सबसे अधिक बातें हुईं। सरकार ने होमवर्क किया और आज शिक्षा विभाग के पास इस बात की जानकारी है कि दिल्ली के किस सरकारी स्कूल को क्या चाहिए। किन सुविधाओं की कमी है, यदि कहीं क्षमता से अधिक बच्चे क्लास में पढ़ रहे हैं तो उस स्थिति को कैसे ठीक किया जा सकता है।

बैठक के दौरान जब कई प्रधानाचार्यो ने अपनी-अपनी समस्या गिनाईं तो शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने आश्वस्त किया कि गर्मी की छुट्टियों के बाद जब सत्र शुरू होगा तब तक अधिकांश समस्याएं दूर हो जाएंगी।

यमुना विहार बी ब्लॉक स्थित स्कूल की प्रधानाचार्य डॉ. कंचन जैन ने स्कूलों में प्रशासनिक काम में कर्मचारियों की कमी के बारे में मुख्यमंत्री केजरीवाल को बताया। इस पर सिसोदिया ने उन्हें बताया कि शिक्षा विभाग ने प्रत्येक स्कूलों में मैनपावर की कमी का आंकड़ा तैयार कर लिया है और इस कमी को जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा।

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उन्होंने यह भी कहा कि स्कूल में लोक निर्माण विभाग किसी तरह का निर्माण व मरम्मत का कार्य करेगा तो उसके ठेकेदार को तभी भुगतान किया जाएगा जब स्कूल के प्रधानाचार्य काम मनमुताबिक पूरा होने की स्वीकृति प्रदान करेंगे।

कर्मचारियों को नहीं किया जा सकता है बाध्य
चर्चा के दौरान यह बात आई कि क्या सरकार सरकारी कर्मचारियों को अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने को अनिवार्य करने जा रही है? इस पर इसका जवाब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्वयं दिया। केजरीवाल ने कहा, इससे पहले भी यह बात उनसे कई बार पूछी जा चुकी है लेकिन मेरा मानना है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था बेहतर होती तो यह सब कोशिश हमलोगों को करनी ही नहीं पड़ती।

उन्होंने कहा कि अभी हमें स्कूलों की दशा तथा शिक्षा व्यवस्था को बहुत दुरुस्त करना है। दाखिला लेने वाला बच्चा कैसे 12-15 वर्ष बाद अपने साथ-साथ समाज, राज्य व देश के लिए उपयोगी साबित होगा, इसके प्रति सबको सोचना है। सरकार चाहती है कि कुछ वर्षो में यह स्थिति आ जाए कि सरकारी स्कूलों में दाखिले के लिए कतार लग जाए। केजरीवाल ने कहा कि मौजूदा स्थिति में सरकारी कर्मचारियों को अपने बच्चों को सिर्फ सरकारी स्कूल में दाखिले के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। क्योंकि जबरदस्ती करने पर कुछ स्थायी नहीं रहता है।

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