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क्या यूपी में मायावती और केजरीवाल मिलाएंगे हाथ?

दिल्ली फतह के बाद क्या अब अरविंद केजरीवाल की नजर उत्तर प्रदेश की हुकूमत पर है? क्या बसपा सुप्रीमो मायावती और आम आदमी पार्टी (आप)के संयोजक के बीच कोई सियासी समझ कायम होने की गुंजाइश बनी है? शहर के सियासी गलियारों में यह चर्चा गर्म है।

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Thu, 16 Apr 2015 03:06 AM (IST)Updated: Thu, 16 Apr 2015 10:50 AM (IST)
क्या यूपी में मायावती और केजरीवाल मिलाएंगे हाथ?

नई दिल्ली [अजय पांडेय]। दिल्ली फतह के बाद क्या अब अरविंद केजरीवाल की नजर उत्तर प्रदेश की हुकूमत पर है? क्या बसपा सुप्रीमो मायावती और आम आदमी पार्टी (आप)के संयोजक के बीच कोई सियासी समझ कायम होने की गुंजाइश बनी है? शहर के सियासी गलियारों में यह चर्चा गर्म है।

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अंबेडकर जयंती के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री केजरीवाल ने मायावती के पिता प्रभु दयाल के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया। इस मौके पर उन्होंने बसपा सुप्रीमो द्वारा दलितों के लिए किए गए कार्यो की जमकर तारीफ की।

आम आदमी पार्टी कार्यकर्ताओं की मानें तो मुख्यमंत्री का ऐसा करना बुजुर्गो के प्रति सम्मान का शिष्टाचार भर था। इसमें किसी किस्म की सियासत देखना सरासर गलत है, लेकिन राजनीति करने वाले लोग इस आयोजन को बाकायदा सियासी चश्मे से देख रहे हैं।

कहा जा रहा है कि दलितों के बीच बेहद लोकप्रिय मायावती के पिता को बुलाकर उनका मान-सम्मान किए जाने के सियासी निहितार्थ भी जरूर हैं। दिल्ली में आप को यहां के दलितों ने पिछले दोनों विधानसभा चुनावों में जमकर वोट दिए। आलम यह है कि शहर की सभी 12 सुरक्षित सीटों पर आप का कब्जा है। इसी प्रकार मुस्लिम मतदाताओं ने भी आप को बंपर वोट दिया। अब चाहे दिल्ली में रहने वाले दलित हों या मुस्लिम, ज्यादातर उत्तर प्रदेश से ही ताल्लुक रखते हैं।

हकीकत यह भी है कि दिल्ली में बसपा को जो कभी 14-15 फीसद वोट मिलते थे, वे तमाम आप की झोली में गिरे हैं। लिहाजा, कहा यह जा रहा है कि यदि आप उत्तर प्रदेश का रूख करती है तो वहां पर भी यह वोट उसकी झोली में गिर सकते हैं। उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने पिछले दिनों यह कहा था कि आप पूरे देश में अपना विस्तार करेगी और जहां पर वह मजबूत होगी, वहां पर चुनाव भी लड़ेगी।

उन्होंने बिहार में चुनाव लड़ने की संभावना को यह कह कर खारिज कर दिया था कि अब इतना समय नहीं बचा है कि वहां चुनाव लड़ा जाए जबकि उप्र के मामले में उनका कहना था अभी इस पर फैसला नहीं हुआ है। अब बसपा सुप्रीमो मायावती से किसी प्रकार के गठबंधन की संभावना को लेकर पूछने पर उन्होंने साफ इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा कि बसपा के साथ नहीं जाएंगे।

बहरहाल, आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश के सियासी मैदान में कूदने की तैयारी में जरूर है। लोकसभा चुनाव में पार्टी ने अपना प्रचार-प्रसार भी खूब किया है। लिहाजा, ऐसी प्रबल संभावना है कि वर्ष 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी कुछ सीटों पर किस्मत आजमा सकती है। अब देखना यह है कि उसका बसपा कोई तालमेल होता है या नहीं।

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