काटजू ने बाल गंगाधर तिलक पर साधा निशाना, बताया- 'ब्रिटिश एजेंट'
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है। काटजू ने स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक को ब्रिटिश एजेंट करार दिया है। तिलक की पुण्यतिथि पर पूर्व जस्टिस ने तिलक पर जमकर निशाना साधा । उन्होंने कहा कि तिलक एक हिंदू चरमपंथी थे और
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने एक बार फिर अपनी टिप्पणी से विवादों में हैं। काटजू ने स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को ब्रिटिश एजेंट करार दिया है। तिलक की पुण्यतिथि पर पूर्व जस्टिस ने उनपर जमकर निशाना साधा । उन्होंने कहा कि तिलक एक हिंदू चरमपंथी थे और ब्रिटिश अधिकारियों की मदद करते थे।
अपने ब्लॉग 'सत्यम ब्रूयात्-जस्टिस काटजू' में उन्होंने लिखा कि 'तिलक को महान सेनानी माना जाता है, लेकिन मेरी राय अलग है। मुझे पता है कि इसके लिए लोग मुझे गालियां भी देंगे । लेकिन मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता। मेरा मानना है कि बाल गंगाधर तिलक दकियानूसी, हिंदू अतिवादियों के प्रचारक और एक ब्रिटिश एजेंट थे। उनकी टिप्पणी, विचाराधारा और कार्य इस बात की ओर इशारा करते हैं।'
काटजू ने तिलक से जुड़ी कुछ बातों का उल्लेख करते हुए लिखा कि, '1894 में तिलक ने गणेश की प्रतिमाओं को घर-घर स्थापित करवाया और सार्वजनिक पूजा समारोह करवाए। इनमें हिंदुओं से गायों की रक्षा और मुहर्ररम में भाग न लेने की अपील की गई। इसके अलावा 1891 में उन्होंने शादी की उम्र 10 साल की बजाय 12 करने का भी इस आधार पर विरोध किया था कि यह हिंदुत्व के खिलाफ है।'
प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष रह चुके काटजू ने लिखा कि 'छह साल तक बर्मा की मांडले जेल में बंद रहने के बाद तिलक पूरी तरह ब्रिटिश एजेंट की तरह काम करने लगे। यहां तक कि उन्होंने पहले विश्व युद्ध में ब्रिटिश सेना में भारतीयों की भर्ती का समर्थन किया। इसके अलावा मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधारों का भी समर्थन किया।' काटजू ने महात्मा गांधी और बाल गंगाधर तिलक पर अंग्रेजों को हितों को पूरा करने और 'बांटो और राज करो की नीति' को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। काटजू के मुताबिक दोनों ही नेताओं ने राजनीति में धर्म का घालमेल करने का काम किया।
काटजू ने उनके द्वारा लिखे लेख पर निशाना साधते हुए कहा कि आर्यों पर की गई टिप्पणी उनकी दकियानूसी विचाराधारा दर्शाता है। तिलक ने आर्यों का मूल निवास आर्कटिक में बताने जैसी बात कही थी। यही नहीं जब 1896 में बॉम्बे में प्लेग की महामारी फैली तो अंग्रेज सरकार घरों को खाली कराना चाहती थी, जिस पर तिलक ने कहा था कि इससे हिंदू महिलाएं पर्दे से बाहर आएंगी और यह सही नहीं होगा।
जस्टिस काटजू के इस लेख से सियासत गर्मा सकती है। वहीं कांग्रेस इस मुद्दे पर कड़े विरोध की तैयारी कर रही है।