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विस्‍थापित कश्‍मीरी पंडितों का दिल्‍ली में प्रदर्शन, जलाए पाक के झंडे

ढाई दशक पहले कश्‍मीर से विस्‍थापित किए गए कश्‍मीरी पंडितों ने रविवार को अपनी मांगों को लेकर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्‍होंने घाटी में अलग बसाए जाने के विरोध को लेकर पाकिस्‍तान के झंडे जलाए। प्रदर्शन में जम्‍मू, दिल्‍ली और देश के अन्‍य शहरों में रहने वाले कश्‍मीरी

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Sun, 03 May 2015 12:35 PM (IST)Updated: Sun, 03 May 2015 03:35 PM (IST)
विस्‍थापित कश्‍मीरी पंडितों का दिल्‍ली में प्रदर्शन, जलाए पाक के झंडे

नई दिल्ली। ढाई दशक पहले कश्मीर से विस्थापित किए गए कश्मीरी पंडितों ने रविवार को अपनी मांगों को लेकर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने घाटी में अलग बसाए जाने के विरोध को लेकर पाकिस्तान के झंडे जलाए। प्रदर्शन में जम्मू, दिल्ली और देश के अन्य शहरों में रहने वाले कश्मीरी पंडितोें ने भाग लिया।

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कश्मीरी पंडितों ने पुनर्वास को लेकर रायशुमारी करने के साथ-साथ विस्थापन के कारणों का पता लगाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार से जांच कमेटी गठित करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार को पंडितों को घाटी में बसाने को लेकर पहले समुदाय से राय-मशविरा करने के बाद ही फैसला लेना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सरकार इस बात का एकतरफा फैसला नहीं ले सकती है कि उन्हें कैसे बसाया जाए।प्रदर्शनकारियों ने कहा कि राज्य और केंद्र मेें बैठी मुफ्ती और मोदी सरकार को चाहिए कि वह हमारा वापसी को लेकर कोई भी योजना बनाने से पहले एक बार हमारे समुदाय से भ्ाी बात करे।

प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे लोगों ने काली टी-शर्ट पहन रखी थी जिस पर हुर्रियत कांफ्रेंस के खिलाफ नारे लिखे हुए थे। जम्मू-कश्मीर विचार मंच के महासचिव मनोज भान ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार कोई भी फैसला लेने से पहले हमसे बात करे। उन्होंने राज्य सरकार से घाटी से खदेड़े जाने के दौरान कश्मीरी पंडितों की हत्या के केस को फिर से खोलने और दोषियों को सजा देने की मांग की। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और पलायन के कारणों की निष्पक्षता से जांच के लिए एक आयोग का गठन किया जाए।

गौरतलब है कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने घाटी में कश्मीरी पंडितों के लिए अलग टाउनशिप बनाने की घोषणा की थी जिसका अलगावादियों ने विरोध किया था। इसके बाद मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद ने सफाई दी कि हम चाहते हैं कि पंडित घाटी में आम लोगों के साथ मिलकर-जुलकर रहें। कश्मीरी पंडितों की मांग है कि यह फैसला करने का अधिकार उन्हें है कि वह घाटी में कहां और कैसे रहें। वे अलग होमलैंड की मांग कर रहे हैं, जहां मुस्लिमों को भी रहने का अधिकार हो।

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