14 साल बाद पुणे के अस्पताल में कश्मीरी परिवार हुआ एक
कहते हैं कि जब कोई बिछड़ा मिलता है तो खुशी का ठिकाना नहीं रहता। कुछ ऐसा ही एक कश्मीरी परिवार के साथ हुआ जब 14 साल बाद वो अपने बेटे से मिलने में कामयाब हुए।
पुणे (मिड-डे)। ये दुखभरी कहानी है सिजोफ्रेनिया के शिकार कश्मीरी युवक आदिल की जो वर्ष 2002 में श्रीनगर से लापता हो गया था। जिस समय वो श्रीनगर से लापता हुआ उसकी ऊम्र 16 वर्ष थी। गुमशुदगी के आठ साल बाद यानि 2010 में वो महाराष्ट्र के शोलापुर रेलवे स्टेशन पर मिला। आदिल को बाद में पुणे के मेंटल हास्पिटल में भर्ती कराया गया जहां उसका डॉक्टर मोहन बंसोड़े ने इलाज करना शुरू किया।
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आदिल का इलाज करने वाले डॉक्टर बंसोड़े ने उसके परिवार को खोजने की कोशिश की। करीब 6 साल की लगातार कोशिश के बाद वो आदिल को उसके परिवार से मिलाने में कामयाब हुए। पिछले शुक्रवार को आदिल के पिता, उसकी मां और बहन ने उससे मुलाकात की। भावनाओं के आवेग में एक हुए परिवार के सदस्यों की जुबां तो चल रही थी। लेकिन शब्दों का उद्गार नहीं हो रहा था। आदिल और उसका परिवार शनिवार को मुंबई के लिए रवाना हो गए। उसके बाद वो श्रीनगर जाएंगे।
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आदिल के पिता ने कहा कि गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए वो पुलिस स्टेशन गए। लेकिन पुलिस वालों ने उनके साथ बदसलूकी करते हुए कहा कि आदिल किसी आतंकी संगठन में शामिल हो गया होगा। लेकिन आदिल का मां ने कहा कि उसे अपनी परवरिश पर पूरा भरोसा था। उसे उम्मीद थी कि वो कोई ऐसा काम नहीं कर सकता है जिसकी वजह से उसे शर्मिंदा होना पड़े।
आदिल का इलाज करने वाले डॉक्टर बंसोड़े ने कहा कि उन्होंने उसके परिवार को ढूंढने की कोशिश करने का फैसला किया। शुरुआड में काफी निराशा हुई लेकिन उन्होंने हिम्मत से काम लिया। वो उससे बार बार उसके घर के बारे में पूछा करते थे। पहले तो वो कुछ बताता ही नहीं था लेकिन काफी कोशिश के बाद उसने श्रीनगर में बटमालू का नाम लिया। बंसोडे़ ने कहा कि उन्होेंने गूगल और पुलिस की मदद से आखिरकार आदिल के परिवार को खोज ही लिया।
आदिल के मिलने पर उसकी बड़ी बहन रिफत ने कहा कि 16 साल पुराने वो हालात आंखों के सामने गुजर जाते हैं जब उसका भाई गायब हो गया था। रिफत ने ये कहा कि ये साफ है कि कहीं न कहीं भगवान की मौजूदगी जरूर है।