कश्मीर हिंसा: पैलेट के लिए पहले से ही उपयोग में हैं वैकल्पिक साधन
कमेटी को दो माह के भीतर रिपोर्ट सबमिट करने को कहा गया लेकिन गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि कमेटी अपनी रिपोर्ट कुछ ही दिनों में सबमिट कर देगी।
श्रीनगर। जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट में सीआरपीएफ द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है कि अशांत घाटी में पैलेट की जगह पावा शेल्स (Pelargonic Acid Vanillylamide) का उपयोग पहले से ही किया जा रहा है। पैलेट गन के लिए विकल्पों की खोज के लिए गृह मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा बनाई गयी विशेषज्ञों की कमेटी ने पावा शेल्स का सुझाव दिया। हालांकि कश्मीर में तैनात सीआरपीएफ द्वारा दायर किए गए हलफनामे के अनुसार, जवानों द्वारा 8 जुलाई से 11 अगस्त के बीच पावा प्रोजेक्टाइल की 800 गोलियां (काली मिर्च के गोले) दागी गर्इं थीं।
इसके अलावा, पैरामिलिट्री फोर्स 8,650 आंसू के गोले, 158 स्टन शेल्स, 277 स्टन ग्रेनेढ, 1,715 रबड़ बुलेट, 840 टीयर स्मोक ग्रेनेड, 2671 प्लास्टिक पैलेट के साथ कुछ अन्य हथियारों को उपयोग किया था।
इंस्पेक्टर जनरल, सीआरपीएफ (श्रीनगर), अतुल कारवाल ने 17 अगस्त को हलफनामा दायर किया था।
सूत्रों के अनुसार, विशेषज्ञों की कमिटी जो अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपने वाली है उसमें पैलेट गन की जगह पावा शेल्स, कान्डोर रबड़ बुलेट, आंसू गैस के गोले का सुझाव देगी। 25 जुलाई को इस कमिटी का गठन किया गया था। इसमें गृह मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी, सीआरपीएफ व बीएसएफ के उच्च अधिकारियों के साथ जम्मू व कश्मीर पुलिस ऑफिसर व आइआइटी दल्ली के प्रोफेसर व दो अन्य को शामिल किया गया है।
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कमेटी को रिपोर्ट सबमिट करने के लिए दो माह की अवधि सौंपी गयी है लेकिन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कमिटी कुछ दिनों में ही अपनी रिपोर्ट दे देगी।