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कर्नाटक सरकार की दलील, राज्य के अलग झंडे पर संविधान में कुछ नहीं

कांग्रेस शासित राज्य ने एक बार फिर दलील दी है कि किसी राज्य का अपना झंडा हो या नहीं संविधान में इस पर कुछ भी नहीं लिखा है।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 19 Jul 2017 09:45 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jul 2017 09:45 PM (IST)
कर्नाटक सरकार की दलील, राज्य के अलग झंडे पर संविधान में कुछ नहीं
कर्नाटक सरकार की दलील, राज्य के अलग झंडे पर संविधान में कुछ नहीं

बेंगलुरु, प्रेट्र। अपने राज्य के लिए अलग झंडे की मांग करके कर्नाटक सरकार ने अपनी फजीहत करा ली है। हालांकि कांग्रेस शासित राज्य ने एक बार फिर दलील दी है कि किसी राज्य का अपना झंडा हो या नहीं संविधान में इस पर कुछ भी नहीं लिखा है।

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया सांस्कृतिक आधार पर राज्य के अलग झंडे की पैरवी कर रहे हैं। इसी दिशा में राज्य के कानून मंत्री टीबी जयचंद्र ने बुधवार को कैबिनेट बैठक के बाद कहा कि जो भी मौजूदा कानून हैं, वह सब केवल राष्ट्रीय ध्वज के बारे में हैं। लेकिन किसी राज्य के पास उसका ध्वज होना चाहिये या नहीं ये स्पष्ट नहीं है। गौरतलब है कि कर्नाटक सरकार ने झंडे की डिजाइन को लेकर एक रिपोर्ट सौंपने को नौ सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि सिद्धरमैया के मुताबिक संविधान में कहीं भी ये नहीं लिखा है कि राज्य का अपना एक अलग झंडा नहीं हो सकता। इसके पीछे कर्नाटक की अलग सांस्कृतिक पहचान से जुड़ी राजनीति है। हालांकि कोई भी राजनीति देशहित से बड़ी नहीं हो सकती।

कर्नाटक सरकार ने लिया एकतरफा फैसला : येद्दयुरप्पा

इस बीच, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीएस येद्दयुरप्पा ने कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने विपक्ष से कोई विचार-विमर्श किये बिना एकतरफा फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी कर्नाटक के अलग झंडे का विरोध नहीं कर रही। हालांकि उन्होंने भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के एजेंडे का भी समर्थन करते हुए कहा कि वह एक राष्ट्र, एक झंडे का समर्थन करते हैं। संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि कोई भी राज्य अपना अलग झंडा रखे।

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