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कपिल सिब्बल कानून मंत्रालय, सीपी जोशी देखेंगे रेल मंत्रालय

पवन कुमार बंसल और कानून मंत्री अश्विनी कुमार के इस्तीफे के बाद सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री डॉ. सीपी जोशी को रेल तो संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल को कानून मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। पवन बंसल और अश्रि्वनी कुमार के इस्तीफों को स्वीकार करने के साथ इनकी जगह जोशी व सिब्बल को अतिरिक्त कार्यभार सौंपने की प्रधानमंत्री की सिफारिश को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंजूर कर लिया है।

By Edited By: Published: Sat, 11 May 2013 12:52 PM (IST)Updated: Sat, 11 May 2013 07:31 PM (IST)
कपिल सिब्बल कानून मंत्रालय, सीपी जोशी देखेंगे रेल मंत्रालय

नई दिल्ली। यूपीए सरकार के दो आला मंत्री पवन कुमार बंसल और कानून मंत्री अश्विनी कुमार के इस्तीफे के बाद सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री डॉ. सीपी जोशी को रेल तो संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल को कानून मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। पवन बंसल और अश्रि्वनी कुमार के इस्तीफों को स्वीकार करने के साथ इनकी जगह जोशी व सिब्बल को अतिरिक्त कार्यभार सौंपने की प्रधानमंत्री की सिफारिश को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंजूर कर लिया है।

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यह पहला मौका है जब कपिल सिब्बल को कानून मंत्रालय देखने का मौका मिलेगा। वह देश के जाने-माने वकील हैं और कानून मंत्रालय उनकी स्वाभाविक पसंद है। परंतु उन्हें यह मंत्रालय कभी नहीं मिला। अब अतिरिक्त प्रभार के रूप में वह संचार के साथ इस मंत्रालय का कामकाज भी देख सकेंगे। हालांकि इस पद पर उनकी नियुक्ति स्थायी होगी या तात्कालिक इसका पता मंत्रिमंडल फेरबदल के बाद ही लग सकेगा।

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दूसरी ओर डॉ. सीपी जोशी को रेल मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दूसरी मर्तबा मिला है। इससे पहले जब मुकुल राय रेलमंत्री पद से हटे थे तब भी उन्हें ही अतिरिक्त प्रभार दिया गया था। अब बंसल के हटने पर डॉ. जोशी को फिर से रेलवे का अतिरिक्त चार्ज दिया गया है। देखना यह है कि इस बार यह चार्ज स्थायी होता है या फिर किसी और के खाते में जाता है।

वैसे डॉ. जोशी रेल मंत्री बनने के बड़े इच्छुक रहे हैं और सड़क परिवहन मंत्रालय से मुक्ति चाहते हैं। जिस तरह से इस बार अहम पदों पर नियुक्ति में राहुल गांधी की चल रही है उसे देखते हुए कोई आश्चर्य नहीं होगा यदि इस बार डॉ. जोशी को रेल मंत्रालय स्थायी रूप से मिल जाए। हालांकि रेल मंत्रालय में श्रम मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे को नियुक्त किए जाने की चर्चाएं भी जोरों पर हैं। उन्हें कर्नाटक का मुख्यमंत्री न बनाए जाने के बदले में यह पद दिया जा सकता है। चर्चा तो स्वास्थ्यमंत्री गुलाम नबी आजाद के नाम की भी है। परंतु बताया जाता है कि वह स्वास्थ्य मंत्रालय छोड़ने के इच्छुक नहीं हैं।

वैसे जरूरी नहीं कि अब रेलवे व कानून मंत्रालय में स्थायी नियुक्तियां हों ही। संभव है कि अब लोकसभा चुनाव की घोषणा होने तक इन मंत्रालयों को अतिरिक्त प्रभारियों के भरोसे ही चलाया जाए और कुछ नए राज्य मंत्रियों की नियुक्ति कर दी जाए।

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