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काली कमाई में कानपुर नंबर वन, अब तक सैकड़ों करोड़ आ चुके बाहर

अघोषित आय घोषित करने में लगभग एक सप्ताह का समय बाकी है लेकिन अब तक कानपुर के कारोबारी 1150 करोड़ रुपए से ज्यादा की अघोषित कमाई को सफेद कर चुके हैं।

By Ashish MishraEdited By: Published: Tue, 27 Sep 2016 03:04 PM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2016 05:44 PM (IST)
काली कमाई में कानपुर नंबर वन, अब तक सैकड़ों करोड़ आ चुके बाहर

लखनऊ (वेब डेस्क)। इनकम डिस्क्लोजर स्कीम (आईडीएस) में कानपुर की धमाकेदार घोषणा से वित्त मंत्रालय भी हैरान है। अभी जबकि अघोषित आय घोषित करने में लगभग एक सप्ताह का समय बाकी है लेकिन अब तक कानपुर के कारोबारी 1150 करोड़ रुपए से ज्यादा की अघोषित कमाई को सफेद कर चुके हैं। कानपुर रीजन (पश्चिम यूपी और उत्तराखंड शामिल) से अभी तक 1800 करोड़ रुपए से ज्यादा की अघोषित कमाई सरेंडर की जा चुकी है।

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एक जून को लांच आईडीएस स्कीम ने आखिरी समय में छलांग मारना शुरू कर दिया है। शुरू में ठंडे रिस्पांस से परेशान आयकर अधिकारियों के पास इन दिनों सांस लेने की फुर्सत नहीं है। अब तक मुख्यालय में 100 के आसपास आईडीएस फॉर्म आ चुके हैं। इस स्कीम में सबसे ज्यादा घोषणा करने वाले शीर्ष पांच रीजन में से एक कानपुर भी है। नंबर एक पर मुम्बई चल रहा है। इसके बाद दिल्ली, गुजरात और फिर कानपुर है। इस रीजन से अभी तक 18 अरब रुपए से ज्यादा की कमाई सामने आ चुकी है। हैरत की बात यह है कि इसमें 60 फीसदी से ज्यादा की हिस्सेदारी सिर्फ कानपुर है। यही वजह है कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कानपुर पर खास फोकस करने के निर्देश दिए हैं।

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पिछले दिनों शहर आए सीबीडीटी सदस्य एसके सहाय ने कानपुर को टॉप तीन रीजनों में शुमार करने के निर्देश दिए। कानपुर को लेकर वित्त मंत्रालय और सीबीडीटी की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लगभग रोज वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए प्रगति का ब्योरा लिया जा रहा है। आयकर विभाग को उम्मीद है कि तीस सितंबर तक कानपुर शहर से 2000 करोड़ रुपए इस स्कीम में सामने आ सकते हैं।

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तीस तारीख से पहले आयकर विभाग रातदिन एक किए है, तो तीस के बाद ताबड़तोड़ छापे मारने के लिए निदेशालय जांच के अधिकारी कमर कस रहे हैं। आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक आयकर विभाग के पास ठोस सूचनाओं का डाटा तैयार हो गया है। इस डाटा बैंक में 60 हजार से ज्यादा लोगों की कमाई-खर्च-निवेश का ब्योरा मौजूद है। पिछले एक महीने के दौरान रोजाना 450 से ज्यादा सूचनाएं विभाग के पास आ रही हैं।

सिर्फ कानपुर ही नहीं बल्कि 40 जिलों में पिछले एक साल में हुई जमीनों की खरीद बिक्री के रिकॉर्ड जुटाए गए हैं। डीएम सर्किल रेट और वास्तविक मूल्य का मूल्याकंन आयकर विभाग अपने स्तर से करा रहा है। इन सूचनाओं को युद्धस्तर पर फिल्टर किया जा रहा है। तीस तक का इंतजार किया जा रहा है। इसके बाद ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।


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