'मेक इन इंडिया' से अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता को मिलेगा बढ़ावा : जस्टिस खेहर
एशिया में मध्यस्थता की जरूरत पर आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन 'एंगेजिंग एशिया आर्बिट्रेशन समिट' को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का केंद्र बन रहा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के मामलों में कारोबारी समुदाय के बीच भरोसा पैदा करने के लिए सरकार को मध्यस्थता प्रक्रिया से अलग रहना चाहिए। उन्होंने आशा जताई कि नरेंद्र मोदी सरकार के 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम से देश में अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता को बढ़ावा मिलेगा।
एशिया में मध्यस्थता की जरूरत पर आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन 'एंगेजिंग एशिया आर्बिट्रेशन समिट' को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का केंद्र बन रहा है। इस प्रक्रिया में दखल न देने की सरकार की पहल से विदेशी व्यापारियों में भरोसा पैदा होगा। इससे उन्हें लगेगा कि प्रक्रिया निष्पक्ष है।
जस्टिस खेहर का कहना था कि विदेशी निवेश के कारण भारत में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की संभावनाएं बढ़ रही हैं। 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम से भारत उभरते बाजारों में मध्यस्थता के लिए सर्वाधिक पसंदीदा स्थल के रूप में लोकप्रिय होगा।
मध्यस्थता को बढ़ावा देने के न्यायपालिका तथा सरकार के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए जस्टिस खेहर ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट ने भी निष्पक्ष देश से मध्यस्थता कराने की सतत प्रक्रिया अपनाई है। 'इसलिए मेरे ख्याल से, सरकार और न्यायपालिका के इन कदमों (मध्यस्थता प्रक्रिया में दखल न देने तथा निष्पक्ष देश से मध्यस्थता कराने) से व्यापारिक समुदाय का भरोसा और बढ़ेगा।'
उन्होंने एशिया में मध्यस्थता को एक नए स्तर पर ले जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि एशिया का कोई भी देश अकेले अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की वैसी संस्कृति विकसित नहीं कर सकता जैसी ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोप में हैं। हमारे पास वह चीज है ही नहीं। आज की तारीख में हमारे लिए यह असंभव है। इसलिए एशिया में मध्यस्थता को लाने के लिए हमें मिलकर काम करना होगा।' हालांकि उन्होंने मध्यस्थता की शुरुआत भारत से होने की इच्छा जताई।
सम्मेलन में अपना अनुभव साझा करते हुए पूर्व कानून मंत्री तथा कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि भारत मध्यस्थता में तेजी से आगे बढ़ रहा है। किंतु उसके पास इसके लिए आवश्यक उपकरणों, हार्डवेयर तथा साफ्टवेयर की कमी है। उन्होंने एक मध्यस्थ को जज से इतर व्यवहार करने की जरूरत भी बताई। 'एक जज को अड़चनों के बीच काम करना पड़ता है। खासकर हमारे देश में, जहां कानूनी दिक्कतों के अलावा काम का अत्यधिक बोझ भी है।'