Move to Jagran APP

अभी चूके तो बाद में मुश्किल, घटाई जा सकती हैं ब्‍याज दरें

महंगाई बढ़ने की रफ्तार घटने की वजह से ब्याज दरों में कटौती करने का बढ़िया मौका हाथ लगा है। रिजर्व बैंक 2 जून को मौद्रिक नीति की समीक्षा करने वाला है, लिहाजा उम्मीद की जा रही है कि इस साल तीसरी बार नीतिगत ब्याज दरें घटाई जाएंगी। यस बैंक की

By Manoj YadavEdited By: Published: Tue, 26 May 2015 06:12 PM (IST)Updated: Tue, 26 May 2015 06:18 PM (IST)
अभी चूके तो बाद में मुश्किल, घटाई जा सकती हैं ब्‍याज दरें

मुंबई। महंगाई बढ़ने की रफ्तार घटने की वजह से ब्याज दरों में कटौती करने का बढ़िया मौका हाथ लगा है। रिजर्व बैंक 2 जून को मौद्रिक नीति की समीक्षा करने वाला है, लिहाजा उम्मीद की जा रही है कि इस साल तीसरी बार नीतिगत ब्याज दरें घटाई जाएंगी। यस बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री शुब्धा राव ने कहा, "हम थोड़ी सतर्कता के साथ रेपो रेट में 0.25 फीसदी कटौती की उम्मीद कर रहे हैं।"

prime article banner

दिक्कत यह है कि यदि 2 जून को ब्याज दरें नहीं घटाई गईं तो बाद में ऐसा करना मुश्किल हो जाएगा। मानसूनी बारिश शुरू होने और अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ाए जाने (जिसकी आशंका जताई जा रही है) के बाद रिजर्व बैंक के लिए रेपो रेट घटाने की गुंजाइश सीमित रह जाएगी।

मानसून पर बहुत कुछ निर्भर

मानसूनी बारिश यदि सामान्य से कम हुई, तो खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ जाएंगे। चूंकि महंगाई दर के आधार पर ही मौद्रिक नीति बनाई जाती है, इसलिए ऐसी स्थिति में ब्याज दरें घटाना मुश्किल हो जाएगा क्योंकि ब्याज दरें घटाने से बाजार में नकदी बढ़ेगी, जिसके कारण महंगाई को हवा-पानी मिलेगा। यही वजह है कि यदि 2 जून को रेपो रेट नहीं घटाया गया, तो फिर इसके लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।

फेड के रुख का होगा असर

दूसरी मुश्किल यह है कि यदि आशंका के मुताबिक अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ब्याज दरें बढ़ाता है तो आरबीआई के लिए ब्याज दरों में आगे और कटौती व्यवहारिक नहीं रह जाएगी। अच्छी बात यह है कि विशाल विदेशी मुद्रा भंडार के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था बाहरी झटके झेलने के लिए तैयार है।

रेट कटौती के पक्ष में हालात

इस साल जनवरी और मार्च में दो मर्तबा रेपो रेट घटाया गया, जिसके बाद यह 7.50 प्रतिशत रह गया। सरकार की तरफ से जारी नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक खुदरा कीमतों के आधार पर महंगाई दर पिछले चार माह के निचले स्तर 4.87 प्रतिशत रह गई है।

दूसरी तरफ औद्योगिक उत्पादन पिछले पांच महीनों के निचले स्तर पर आ गया है। ऐसे में रिजर्व बैंक नीतिगत ब्याज दर घटाने पर विचार कर सकता है। चूंकि फिलहाल महंगाई दर कम है, लिहाजा रेपो रेट में हल्की कटौती के बाद महंगाई बढ़ने की ज्यादा आशंका नहीं रहेगी। दूसरी तरफ कर्ज सस्ता होने की बदौलत औद्योगिक उत्पादन में बढ़ोतरी होगी।

कीमतें बढ़ने के बजाए घटने के संकेत

एल एंड टी फाइनेंशियल सर्विसेज की मुख्य अर्थशास्त्री रुपा रेगे नित्सुरे ने कहा, "हाल के तमाम आंकड़ों से देश में कीमतें बढ़ने के बजाए घटने के गंभीर रुझान का संकेत मिल रहा है। चूंकि रुपए की तरफ से फिलहाल कोई खतरा नजर नहीं आ रहा है, लिहाजा जून तक उनके पास ब्याज दरें घटाने का मौका है। इसके बाद अनिश्चितताएं बढ़ जाएंगी।"

कटौती को लेकर इत्मीनान नहीं

रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन तेजी से काम करने की मंशा पहले ही जता चुके हैं। उनका तरीका भी दिलचस्प रहा है। रेपो रेट में पिछली दोनों कटौती मौद्रिक नीति समीक्षा की निर्धारित तारीख से काफी पहले की गई थी। लेकिन, इस बार अब तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है। यही कारण है कि ब्याज दरों में एक बार फिर कटौती को लेकर इत्मीनान नहीं है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.
OK