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यूपी सरकार ने जंग पर साधा निशाना

ओखला की जमीन अधिग्रहित कर जामिया मिलिया को देने के मामले में उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार और दिल्ली के उप राज्यपाल नजीब जंग सरकार आमने-सामने आ गए हैं। उत्तर प्रदेश ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि जब जंग जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के कुलपति थे, तब वहां की एक्जीक्यूटिव कमेटी ने विश्वविद्यालय विस्तार के लिए जमीन का प

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Tue, 14 Oct 2014 09:56 AM (IST)Updated: Thu, 30 Oct 2014 12:54 PM (IST)
यूपी सरकार ने जंग पर साधा निशाना

नई दिल्ली, [माला दीक्षित]। ओखला की जमीन अधिग्रहित कर जामिया मिलिया को देने के मामले में उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार और दिल्ली के उप राज्यपाल नजीब जंग सरकार आमने-सामने आ गए हैं। उत्तर प्रदेश ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि जब जंग जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के कुलपति थे, तब वहां की एक्जीक्यूटिव कमेटी ने विश्वविद्यालय विस्तार के लिए जमीन का प्रस्ताव किया था और आज जब वे दिल्ली के उपराज्यपाल हैं, तब जमीन अधिग्रहित कर आनन फानन में जामिया मिलिया को सौंप दी गई। इसमें जामिया मिलिया को अनुचित लाभ पहुंचाने की मंशा थी। उत्तर प्रदेश ने जमीन पर अपनी दावेदारी बताते हुए सुप्रीम कोर्ट से मामले में रोक आदेश जारी करने का अनुरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर कल सुनवाई करेगा। उत्तर प्रदेश सरकार ने नजीब जंग पर ये आरोप सुप्रीमकोर्ट में आज दाखिल किए गए अपने प्रतिउत्तर में लगाए हैं।

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उत्तर प्रदेश और दिल्ली के बीच भूमि अधिग्रहण का यह मुकदमा सुप्रीमकोर्ट में लंबित है। उत्तर प्रदेश सरकार ने दिल्ली के खिलाफ वाद दाखिल कर ओखला की 22 एकड़ जमीन का अधिग्रहण रद करने की मांग ही है।

प्रदेश सरकार ने वकील अरधेन्दुमौलि कुमार प्रसाद के जरिये प्रतिउत्तर दाखिल कर कहा है कि ओखला की विवादित जमीन उसकी है और दिल्ली सरकार द्वारा किया गया जमीन अधिग्रहण गैरकानूनी है। प्रदेश सरकार का कहना है कि यह जमीन उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की है। दिल्ली सरकार ने 2011 में ओखला की इस 22 एकड़ जमीन के अधिग्रहण की अधिसूचना निकाली थी और उसने तभी से उसका विरोध किया है। दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग पर निशाना साधते हुए अखिलेश सरकार ने कहा है कि जब जंग जामिया मिलिया के कुलपति थे तब वहां की एक्जीक्यूटिव काउंसिल ने जमीन का प्रस्ताव किया था। काउंसिल की बैठक 14 फरवरी 2011 को हुई थी जिसकी अध्यक्षता तत्कालीन कुलपति नजीब जंग ने की थी। और अब जमीन अधिग्रहण के बाद उसके स्थानांतरण और मुआवजे के भुगतान का प्रस्ताव भी उन्होंने मंजूरी किया है। ये हितों का टकराव है क्योंकि जंग ने उपराज्यपाल की हैसियत से बहुत जल्दबाजी में जमीन अधिग्रहित कर जामिया मिलिया को स्थानांतरित कर दी।

उत्तर प्रदेश का यह भी कहना है कि दिल्ली सरकार ने बिना उसका पक्ष और आपत्तियां सुने जमीन की औनी पौनी कीमत तय कर दी है। दिल्ली ने अधिग्रहित जमीन की कीमत 53 लाख रुपये प्रति एकड़ लगाई है, जबकि उसके बगल की जमीन जो कि डीएमआरसी ने 2013 में मेट्रो के लिए ली थी उसकी कीमत 25.91 करोड़ प्रति एकड़ लगाई थी।

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