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जज अंकल, हम पढ़ना चाहते हैं

जज अंकल, हम पढ़ना चाहते हैं। हम गरीब हैं। हमारे पास न तो राशन कार्ड है, न वोटर कार्ड और न ही जन्म प्रमाण पत्र। दिल्ली का कोई भी सरकारी स्कूल हमें दाखिला नहीं दे रहा। क्या हमें पढ़ाई का अधिकार नहीं। आप हमारी मदद कीजिए। यह फरियाद की है यमुना खादर क्षेत्र में रहने वाले उन

By Edited By: Published: Tue, 16 Sep 2014 08:29 AM (IST)Updated: Tue, 16 Sep 2014 08:29 AM (IST)
जज अंकल, हम पढ़ना चाहते हैं

नई दिल्ली, [पवन कुमार]। जज अंकल, हम पढ़ना चाहते हैं। हम गरीब हैं। हमारे पास न तो राशन कार्ड है, न वोटर कार्ड और न ही जन्म प्रमाण पत्र। दिल्ली का कोई भी सरकारी स्कूल हमें दाखिला नहीं दे रहा। क्या हमें पढ़ाई का अधिकार नहीं। आप हमारी मदद कीजिए। यह फरियाद की है यमुना खादर क्षेत्र में रहने वाले उन 81 बच्चों ने जो पढ़ाई कर अपने आने वाले कल को बदलना चाहते हैं। बच्चों ने दिल्ली हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस जी रोहिणी के समक्ष जनहित याचिका दायर कर स्कूलों में दाखिला दिलाने की मांग की है। जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई होने की संभावना है।

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बच्चों की मांग को सोशल जूरिस्ट संस्था ने अपने अधिवक्ता अशोक अग्रवाल के माध्यम से हाईकोर्ट के समक्ष रखा है। याचिका में बताया गया है कि मयूर विहार के पास यमुना खादर क्षेत्र में झुग्गी बस्ती के 81 बच्चे, जिनकी उम्र छह से चौदह साल है, स्कूल जाना चाहते हैं। उन्हें न तो पूर्वी नगर निगम के स्कूलों में दाखिला दिया जा रहा है और न ही पास के सरकारी स्कूलों में। इनके माता-पिता मजदूर हैं, वह मुश्किल से दो वक्त के खाने के लिए पैसे कमा पाते हैं। वह इन्हें निजी स्कूलों में नहीं पढ़ा सकते हैं। इन बच्चों की शिक्षा का एकमात्र सहारा सरकारी या निगम के स्कूल हैं, लेकिन वे जन्म प्रमाण पत्र या पहचान पत्र के अभाव में दाखिला नहीं दे रहे हैं। नि:शुल्क व जरूरी शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार इन बच्चों को भी शिक्षा पाने का अधिकार है। सरकार व निगम को दाखिले का निर्देश दिया जाए।

जनहित याचिका में बच्चों ने कहा कि उन्हें पढ़ाई का महत्व नहीं पता था, क्योंकि वे कभी स्कूल नहीं गए। एक दिन कुछ लोग बस्ती में आकर हमें पढ़ाने लगे। उन्होंने बुनियादी शिक्षा दी और सुनहरे भविष्य के सपने दिखाते हुए बताया कि शिक्षा प्राप्त कर हम क्या कर सकते हैं? हमने कई स्कूलों में दाखिला मांगा, लेकिन नहीं मिला। वे जन्म प्रमाण पत्र मांगते हैं। हम नदी किनारे झुग्गी बस्ती में रहते हैं। बाढ़ आती है तो हमें हटा दिया जाता है। हमारे इलाके में न तो पानी है, न बिजली, न गैस। ऐसे में पहचान पत्र कहां से आएगा। कौन जन्म प्रमाण पत्र देगा। इनके न होने पर क्या हमें स्कूल जाने का भी अधिकार नहीं है।

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