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कैरी-सुषमा की मुलाकात आज, डब्ल्यूटीओ मुद्दा होगा बेहद अहम

अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी गुरुवार करीब तीन बजे भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात करेंगे। आज होने वाली इस हाई प्रोफाइल बैठक में डब्ल्यूटीओ का मुद्दा हावी रहेगा। एक ओर भारत ने साफतौर पर संकेत दिया है कि इस मुद्दे पर उसके कड़े रुख में फिलहाल कोई नरमी नहीं होने वाली है। वहीं, दूसरी ओर अमेरिका ने उम्मीद जताई है कि भारत इस बारे में दोबारा विचार

By Edited By: Published: Thu, 31 Jul 2014 08:51 AM (IST)Updated: Thu, 31 Jul 2014 12:37 PM (IST)
कैरी-सुषमा की मुलाकात आज, डब्ल्यूटीओ मुद्दा होगा बेहद अहम

नई दिल्ली। अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी गुरुवार करीब तीन बजे भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात करेंगे। आज होने वाली इस हाई प्रोफाइल बैठक में डब्ल्यूटीओ का मुद्दा हावी रहेगा। एक ओर भारत ने साफतौर पर संकेत दिया है कि इस मुद्दे पर उसके कड़े रुख में फिलहाल कोई नरमी नहीं होने वाली है। वहीं, दूसरी ओर अमेरिका ने उम्मीद जताई है कि भारत इस बारे में दोबारा विचार करेगा। इस बैठक में अमेरिका द्वारा भाजपा की जासूसी का भी मुद्दा उठने की संभावना है।

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इससे पहले वह रक्षा मंत्री अरुण जेटली से भी मुलाकात करेंगे। शाम करीब छह बजे सुषमा और कैरी एक संवाददाता सम्मेलन में बैठक की जानकारी देंगे। आज ही कैरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे।

अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में खाद्य सब्सिडी के मुद्दे पर वह भारत से काफी खफा है। अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी और वाणिज्य मंत्री पेनी प्रिट्जकर ने डब्ल्यूटीओ में भारत के रुख को बेहद निराशाजनक करार दिया। इन दोनों ने यह तो उम्मीद जताई है कि भारत के रुख में बदलाव होगा, लेकिन साथ ही छिपे स्वर में यह धमकी भी दी है कि अगर ऐसा नहीं होता है तो उसे कुछ दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

भारत के एक प्रमुख आर्थिक समाचार पत्र में केरी और प्रिट्जकर ने संयुक्त आलेख लिखा है। जिसमें कहा गया है कि भारत को यह फैसला करना होगा वह एक नियम आधारित व्यवस्था के साथ है या नहीं। भारत आने के बाद प्रिट्जकर ने भारतीय रवैये को बेहद दुखद करार दिया।

डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों ने 31 जुलाई, 2014 तक खाद्य उत्पादों पर सीमा शुल्क तय करने के मसौदे पर अंतिम सहमति बनाने का समझौता किया था। लेकिन भारत अब अड़ गया है कि इस रजामंदी के साथ ही खाद्य भंडारण और सब्सिडी के मुद्दे पर भी अंतिम सहमति हो जानी चाहिए। भारत इस समझौते में कुछ और भी संशोधन करना चाहता है मसलन, खाद्य सब्सिडी तय करने के लिए आधार वर्ष (1986-88) तय करना।

महंगाई, मुद्रा की कीमत में बदलाव के मद्देनजर भारत सब्सिडी का स्तर तय करने के लिए दबाव बना रहा है। भारत के विरोध की वजह से अब डब्ल्यूटीओ के खाद्य समझौते के भविष्य पर सवाल उठ गया है।

अमेरिका समेत तमाम विकसित देश इस समझौते से अपने खाद्य उत्पादों के लिए एक बड़े बाजार उपलब्ध होने का मंसूबा पाल रहे हैं। समझौते के होने से खाद्य उत्पादों के वैश्विक कारोबार में 60 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि का अनुमान है। इसका एक बड़ा हिस्सा अमीर देशों के पास जाएगा।

अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी की अगुआई में वहां का एक विशिष्ट दल भारत के साथ रणनीतिक बैठक करने आया हुआ है। बैठक में भारत की अगुआई विदेश मंत्री सुषमा स्वराज करेंगी। इसमें अमेरिका भारत के सामने डब्ल्यूटीओ पर रुख में बदलाव के लिए क्या प्रस्ताव करता है, इसे देखना दिलचस्प होगा। अमेरिकी व्यापार मंत्री ने उम्मीद जताई है कि डब्ल्यूटीओ पर खाद्य समझौते के लिए तय निर्धारित अवधि को और नहीं बढ़ाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अगर भारत सहयोग नहीं करता है तो दोहा दौर के पूरी व्यापार वार्ता पर ही संदेह उठ खड़ा होगा। समझौते से भारत के अलग हटने के कई दूरगामी परिणाम होंगे।

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