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जब बीच राह ठहर जाए हम सफर, तब पता चलता है साथ चलने का अर्थ

बीच राह ठहर जाए कोई हमसफर। तब मालूम होता है कि साथ चलने का अर्थ क्या है। ऐसा अर्थ मालूम होते ही जिंदगी मुश्किल हो जाती है। इतनी मुश्किल कि हर चीज धुंधली नजर आती है। श्री मुक्तसर साहिब की इस महिला की मंजिल अब 'जिंदगी' है और इसी 'जिंदगी' की तलाश में यह बढ़े जा रही है.

By Edited By: Published: Mon, 01 Sep 2014 08:44 AM (IST)Updated: Mon, 01 Sep 2014 10:15 AM (IST)
जब बीच राह ठहर जाए हम सफर, तब पता चलता है साथ चलने का अर्थ

श्री मुक्तसर साहिब [सुभाष चंद्र]। बीच राह ठहर जाए कोई हमसफर। तब मालूम होता है कि साथ चलने का अर्थ क्या है। ऐसा अर्थ मालूम होते ही जिंदगी मुश्किल हो जाती है। इतनी मुश्किल कि हर चीज धुंधली नजर आती है। श्री मुक्तसर साहिब की इस महिला की मंजिल अब 'जिंदगी' है और इसी 'जिंदगी' की तलाश में यह बढ़े जा रही है.तिपहिया रिक्शा के पैडल मारती हुई। सुनकर अजीब लगे, लेकिन यह सच है। कड़वा नहीं, खारा सच।

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जिंदर के दुख की दास्तां ऐसी है कि पत्थर दिल की आंखें भी नम हो जाएं। बच्चों की मौत के बाद जिंदर संभल भी न पाई थी कि जीवनसाथी ने बीच मझधार में साथ छोड़ दिया। जिंदगी को रफ्तार देने के लिए उसने रिक्शे को ही हमसफर बना लिया। जिंदर को रिक्शा चलाते देख शहर के लोगों को अब हैरत नहीं होती, लेकिन नंगे पांव व गले में काला कपड़ा डाले जिंदर को रिक्शा चलाते देख बाहर से आए लोग अचंभे से घिर जाते हैं।

28 साल की जिंदर मूलरूप से मानसा जिले के गांव छोटी मानसा की है। करीब सात-आठ साल पहले उसकी शादी धर्मकोट (मोगा) में ट्रक ड्राइवर रूप सिंह के साथ हुई थी। बेटी तीन साल की हुई तो हादसे में मौत हो गई, जबकि करीब चार साल के बेटे को डेंगू ने निगल लिया। बच्चों की मौत ने उसे तोड़ दिया, लेकिन जिस घटना ने जिंदर को बिखेरा वह था पति का छोड़कर चले जाना। डेढ़ साल पहले पति रूप सिंह उसे छोड़कर चला गया। जिंदर को पता चला कि पति किसी महिला के साथ श्री मुक्तसर साहिब में रहता है। वह मुक्तसर पहुंची और गोनियाना रोड स्थित गली नंबर-18 में रहने लगी, लेकिन पति नहीं मिला। रोजी-रोटी का संकट था। माता की गद्दी (चौकी) लगाने से वह दूसरे घरों में झाड़-पोंछा नहीं कर सकती थी और काम करने के लिए जमापूंजी भी नहीं थी। आखिरकार किराये पर रिक्शा लेकर निकल पड़ी। करीब एक साल से वह रिक्शा चला रही है। जिंदर बताती है कि वह अपने भाइयों पर बोझ नहीं बनना चाहती।

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