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आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद JK में आतंकियों की भर्ती में आई तेजी

बुरहान वानी की मौत के बाद जम्‍मू कश्‍मीर में आतंकियों की तादाद में इजाफा हुआ है। इसकी वजह कश्‍मीरी युवाओं को आतंकी गतिविधियों की तरफ मुड़ना रहा है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 22 Mar 2017 10:10 AM (IST)Updated: Wed, 22 Mar 2017 02:44 PM (IST)
आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद JK में आतंकियों की भर्ती में आई तेजी
आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद JK में आतंकियों की भर्ती में आई तेजी

नई दिल्‍ली (जेएनएन)। जम्‍मू कश्‍मीर में हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद वादी में आतंकियों की तादाद में करीब 55 फीसद का इजाफा हुआ है। इसकी जानकारी खुद केंद्रीय गृह राज्‍यमंत्री हंसराज अहीर ने संसद में एक सवाल के जवाब में दी है। उन्‍होंने सदन को बताया कि 2015 में 66, 2014 में 53, 2013 में 16, 2012 में 21, 2011 में 23 जबकि 2010 में 54 कश्मीरी युवकों ने हिंसा का रास्ता अपनाया था। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2010 के बाद 2016 में सबसे अधिक संख्‍या में युवकों ने बंदूक हाथों में थामी।

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सदन को दी गई जानकारी के मुताबिक वर्ष 2014 के बाद युवाओं के आतंकवाद की राह पर जाने के मामलों में कमी आई थी। लेकिन आतंकी वानी की मौत के बाद इस तरह की हिंसा में भी इजाफा हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक सिर्फ जुलाई से सितंबर 2016 के बीच ही हिंसा की 2100 से ज्यादा घटनाएं हुईं।

मंगलवार को लोकसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक, बुरहान वानी के खात्मे वाले महीने यानी जुलाई 2016 में ही 'कानून-व्यवस्था' से जुड़ी 820 घटनाएं दर्ज की गईं। इसके बाद अगस्त में 747 और सितंबर में 535 घटनाएं हुईं। दिलचस्प बात यह है कि 2016 में ही पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ के मामलों में भी तेजी आई। जहां 2015 में घुसपैठ की कोशिशों की 121 घटनाएं हुईं, वहीं यह तादाद 2016 में बढ़कर 371 हो गई।

अहीर के मुताबिक, युवाओं को आतंकवाद का रास्ता चुनने से रोकने के लिए बेहतर पुलिस-पब्लिक तालमेल के अलावा खेल प्रतियोगिताओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसके अलावा, आतंकवाद का रास्ता छोड़ने वाले लोगों के लिए आकर्षक योजनाएं लाई जा रही हैं। 'उड़ान' और 'हिमायत' जैसे कार्यक्रमों के जरिए स्थानीय युवाओं के लिए नौकरियों के रास्ते खोले जा रहे हैं।

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