यात्रियों से ज्यादा कारगो यातायात के लिए अहम है जेवर एयरपोर्ट
जिसके तहत दादरी-मुंबई रेलवे रूट के दोनो और औद्योगिक क्लस्टर्स के साथ-साथ माल ढुलाई के लिए पृथक रेलवे लाइन के अलावा सड़क और विमानन ढांचे का विकास करना सरकार की प्राथमिकता है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जेवर में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के साथ-साथ दादरी में मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क के विकास होने से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वस्तुओं की आवाजाही आसान, तीव्र व किफायती होने की संभावना है।
केंद्र सरकार ने शनिवार को ग्रेटर नोएडा के जेवर में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के विकास को सैद्धांतिक मंजूरी देने का एलान किया है। इससे उत्तर प्रदेश के साथ-साथ देश के औद्योगिक विकास को भी नई दिशा मिलने की उम्मीद जगी है। दरअसल ग्रेटर नोएडा में इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास सरकार की दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कारीडोर रूपी वृहत परियोजना का हिस्सा है। जिसके तहत दादरी-मुंबई रेलवे रूट के दोनो और औद्योगिक क्लस्टर्स के साथ-साथ माल ढुलाई के लिए पृथक रेलवे लाइन के अलावा सड़क और विमानन ढांचे का विकास करना सरकार की प्राथमिकता है।
पश्चिमी डेडीकेटेड फ्रेट कारीडोर के रूप में रेलवे की ओर से पृथक लाइन बिछाने का कार्य प्रगति पर है। जबकि हाईवे व एक्सप्रेसवे के रूप में फर्राटा सड़कों का जाल बिछाने पर सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से कई परियोजनाओं के कार्य कराए जा रहे हैं। अब जेवर में एयरपोर्ट के एलान से उड्डयन लिंक भी स्थापित हो जाएगा। लेकिन इन सभी परियोजनाओं को जिस परियोजना के सहारे की जरूरत होगी वह है दादरी में बनने वाला मल्टीमॉडल लाजिस्टिक्स पार्क जो संपूर्ण एनसीआर क्षेत्र के लिए माल के भंडारण, वितरण एवं पुनर्परिवहन का केंद्र साबित होने वाला है।
सरकार ने कुछ समय पहले ही देश में 35 लाजिस्टिक्स पार्को स्थापना का एलान किया है। दादरी का लाजिस्टिक्स पार्क इनमें से एक है जो दादरी से लेकर ग्रेटर नोएडा, नोएडा, दिल्ली, गाजियाबाद, फरीदाबाद से लेकर मेरठ और मथुरा, आगरा तक सामानों का सुचारु, सुगम, सुव्यवस्थित, किफायती व तीव्र परिवहन सुनिश्चित करेगा। देश के प्रमुख महानगरों व बंदरगाहों से रेल, सड़क व हवाई मार्ग से आने वाला कारगो यहां एकत्रित और भंडारित होगा, जिसे छंटाई के उपरांत छोटे-छोटे ट्रकों के जरिए एनसीआर के विभिन्न नगरों को भेजा जाएगा। इससे एनसीआर के नगरों में विशालकाय बड़े ट्रकों की संख्या घटने से वायु प्रदूषण घटने के अलावा यातायात व्यवस्था में सुधार होगा।
समय के साथ दिल्ली एयरपोर्ट में यात्रियों के साथ-साथ कारगो मूवमेंट भी बढ़ रहा है। वर्ष 2016-17 में यहां 5.77 करोड़ यात्रियों के अलावा 8.57 लाख टन कारगो की आवाजाही हुई। कारगो ट्रैफिक में वृद्धि को देखते हुए यहां नए कारगो टर्मिनल के विकास की योजना है। क्योंकि औद्योगिक कारीडोर के विकास के साथ भविष्य में कारगो मूवमेंट में बड़ा उछाल आने की संभावना है। लिहाजा बड़े कारगो टर्मिनल की आवश्यकता है, जो दिल्ली में मुश्किल है। ऐसे में जेवर को बेहतर विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।