बिहार में कांग्रेस से दोस्ती, हरियाणा में लड़ाई
राजनीतिक दल सिद्धांतों की बात भले ही करें, हकीकत यह है कि यह विशुद्ध अवसरवादिता का खेल है। दोस्त-दुश्मन मौके की नजाकत पर तय होते हैं। बिहार में कांग्रेस की मदद से सरकार चला रही जनता दल यूनाइटेड [जदयू] का हरियाणा में कांग्रेस की धुर विरोधी इंडियन नेशनल लोकदल में समझौता इसका बड़ा उदाहरण है। वहीं कांग्रेस को जदयू का यह रवैया रास नहीं आया है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि जदयू को दोस्त चुनने के मामले में अपना रुख साफ करना चाहिए।
पटना [राज्य ब्यूरो]। राजनीतिक दल सिद्धांतों की बात भले ही करें, हकीकत यह है कि यह विशुद्ध अवसरवादिता का खेल है। दोस्त-दुश्मन मौके की नजाकत पर तय होते हैं। बिहार में कांग्रेस की मदद से सरकार चला रही जनता दल यूनाइटेड [जदयू] का हरियाणा में कांग्रेस की धुर विरोधी इंडियन नेशनल लोकदल में समझौता इसका बड़ा उदाहरण है। वहीं कांग्रेस को जदयू का यह रवैया रास नहीं आया है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि जदयू को दोस्त चुनने के मामले में अपना रुख साफ करना चाहिए।
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने सोमवार को इनेलो के साथ चुनावी दोस्ती का ऐलान करने के साथ ही कहा, हरियाणा में इनेलो की सरकार बनी तो जदयू की भी साझेदारी होगी। हरियाणा में 2009 में विधानसभा चुनाव में जदयू द्वारा प्रत्याशी न खड़े किए जाने का जिक्र करते हुए यादव ने कहा, चौधरी देवीलाल के समय से ही जदयू और इनेलो के बीच राजनीतिक संबंध रहा है। हमारी कोशिश है कि मौजूदा राजनीतिक चुनौतियों के मुकाबला के लिए पुराने जनता दल परिवार को एक हो जाना चाहिए। हरियाणा चुनाव में इन दोनों दलों के गठबंधन का संदेश पूरे देश में जाएगा।
जदयू अध्यक्ष ने राजनीतिक दलों को ही नहीं बल्कि उन लोगों को भी एक मंच पर लाने का दावा किया है, जो कभी जनता दल परिवार से जुड़े रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह एकता वक्त की जरूरत है। यह बहुत जल्द नहीं हुआ तो बहुत देर हो जाएगी। हालांकि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने यह नहीं बताया कि 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा चुनाव में जदयू कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा।