जयललिता की 10500 साड़ियां और 750 सैंडल अब भी हैं कोर्ट कस्टडी में
जयललिता के खिलाफ चल रहे गैरकानूनी संपत्ति के मामले में जून 2017 तक फैसला आ सकता है।
बेंगलूरु (जेएनएन)। भले ही जयललिता की मौत के बाद उनके खिलाफ चल रहा गैरकानूनी संपत्ति का मामला समाप्त हो गया हो, लेकिन उनकी संपत्ति अब भी कर्नाटक कोर्ट की कस्टडी में है और इसमें कई संपत्तियां शामिल हैं।
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, एआईएडीएमके के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि उन्हें उम्मीद है कि जयललिता से जुड़ी संपत्तियों के बारे में सुप्रीम कोर्ट जल्द ही कोई फैसला सुनाएगा, ताकि जयललिता से जुड़ी इन चीजों को उनकी याद में बनाए जा रहे एक म्यूजियम में रखा जा सके।
कोर्ट का फैसला जून, 2017 तक आने की उम्मीद है। कर्नाटक की तरफ से विशेष अभियोजक बी वी आर्चाय ने बताया, "इस मामले में 1 से ज्यादा आरोपी हैं, इसलिए सुनवाई जारी रहेगी।" उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार जयललिता की मृत्यु के बाद सुप्रीम कोर्ट में एक स्मृति पत्र दाखिल करेगी।
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कर्नाटक के अतिरिक्त महाधिवक्ता ए एस पोनन्ना के अनुसार, 'अगर कोर्ट आरोपी को दोषी पाती है तो जब्त की गई संपत्ति तमिलनाडु सरकार को सौंप दी जाएगी। लेकिन अगर उन्हें कोर्ट से क्लीन चिट मिल जाती है तो इसे उसके सही हकदार को सौंप दिया जाएगा।'
आयकर विभाग द्वारा 1996 में जब्त की गईं परिसंपत्तियों की देखरेख कर्नाटक पुलिस कर रही है और इस संपत्ति को दो अलग-अलग जगहों पर रखा गया है। जब्त की गई परिसंपत्तियों में 10,500 साड़ियां, 750 जोड़ी स्लीपर (सैंडल) और वाइन के 500 ग्लास शामिल हैं, जो सिटी सिविल कोर्ट के फर्स्ट फ्लोर पर रखी गईं हैं। इस सामान की चौबीसों घंटे निगरानी करने के लिए 4 पुलिसवालों को इसकी सुरक्षा में तैनात किया गया है। 2002 में जब केस तमिलनाडु से कर्नाटक शिफ्ट हुआ था, तब आयकर विभाग ने इन परिसंपत्तियों को कर्नाटक सरकार को सौंप दिया था।
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आर्म्ड रिजर्व पुलिस फोर्स का कहना है कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि कमरे के अंदर क्या रखा है। राजकोष में रखी संपत्तियों में 3.5 करोड़ की कीमत के 21.28 किलो सोने के गहने, 3 करोड़ 12 लाख का 1250 किलो चांदी का सामान, 2 करोड़ की कीमत के हीरे के गहने और एक चांदी की तलवार शामिल है। पोन्नना कहते हैं, 'इन चीजों पर तभी कोई फैसला लिया जा सकता है जब सुप्रीम कोर्ट इस पर अपना फैसला सुना दे।'
स्पेशल कोर्ट से दोषी ठहराये जाने के बाद सितंबर 2014 में जयललिता को जेल जाना पड़ा था। मई 2015 में कर्नाटक हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बदलते हुए जयललिता को रिहा कर दिया था, जिसके खिलाफ कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी और यह मामला अब तक लंबित है।
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