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ज्योतिष में गहरे विश्वास के चलते अम्मा ने लिया था ये बड़ा सियासी फैसला

जयललिता पंचांगम के अष्‍टमी तिथि को कोई भी नया काम नहीं करती थीं तो उनकी अंतिम यात्रा इस दिन कैसे हो सकती थी।

By Monika minalEdited By: Published: Tue, 06 Dec 2016 04:53 PM (IST)Updated: Tue, 06 Dec 2016 05:12 PM (IST)
ज्योतिष में गहरे विश्वास के चलते अम्मा ने लिया था ये बड़ा सियासी फैसला

चेन्नई (जेएनएन)। 1999 में, जयललिता ने अचानक अटल बिहारी वाजपेयी से अपना समर्थन लेकर राजनीति जगत को चौंका दिया था। यह कार्रवाई राजनीतिक थी लेकिन यह निर्णय ज्योतिष के अनुसार लिया गया था। समर्थन वापस लेने की घोषणा से पहले जयललिता ने खुद को नई दिल्ली के होटल में बंद कर लिया था। उन्होंने किसी से मिलने से भी इंकार कर दिया क्योंकि उस समय चंद्रमा आठवें घर में था। अपने ज्योतिषियों के साथ विचार करने के बाद जयललिता ने वाजपेयी सरकार से अन्नाद्रमुक का समर्थन वापसी का पत्र दिया। इस पत्र को सुबह 9 बजे के बाद और दस बजे से पहले देना था।

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ज्योतिष में था गहरा विश्वास

रुढ़िवादी अयंगर परिवार में जन्मी जयललिता का अंक ज्योतिष व ज्योतिष विज्ञान में गहरा विश्वास था। वे ज्योतिषि के विचार और तमिल कैलेंडर- पंचांगम के अनुसार ही हर काम करती थीं। पंचांगम के अनुसार ही वे छोटे और बड़े काम किया करती थीं। किसी स्कीम के लांचिंग से पहले वे ज्योतिष के अनुसार ही समय तय करते थे। एक बार तो उन्होंने शपथ ग्रहण समारोह रद कर दिया था क्योंकि ज्योतिष के अनुसार वह समय उचित नहीं था।

नाम में जोड़ा एक्स्ट्रा 'a'

2001 में, जयललिता ने अपने नाम में अतिरिक्त अल्फाबेट 'a' जोड़ा। तंजावुर के मां काली के मंदिर में यज्ञ के बाद उन्होंने यह बदलाव किया। दोबारा सत्ता में आने के लिए उन्होंने यह यज्ञ किया था जो उन्होंने 2001 के विधानसभा चुनाव में कर दिखाया और तब उन्होंने मीडिया में कहा कि उनके नाम में अब 12 अक्षर हैं।

पंचांगम के अनुसार अंत्येष्टि

उनके जन्म की तिथि के अनुसार 5 और 7 को वे शुभ मानती थीं। और संयोग ऐसा हुआ कि उन्होंने 5 दिसंबर को अंतिम सांस ली। तमिल पंचांगम के अनुसार मंगलवार शाम 3.30 मिनट से 4.30 मिनट के बीच राहु कला है और इस दौरान जयललिता कुछ नहीं करती थीं इसलिए उनकी अंतिम यात्रा के लिए शाम 4.30 बजे का समय तय किया गया जिसका योग 7 होता है।

सूत्रों के अनुसार, बुधवार को अष्टमी तिथि है। जयललिता पंचांगम के अष्टमी तिथि को कोई भी नया काम नहीं करती थीं तो उनकी अंतिम यात्रा इस दिन कैसे हो सकती थी।

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