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परिवार के एका में मांझी का कांटा, लालू-नीतीश में बढ़ी दूरियां

बिहार में जनता परिवार के विलय के बदले गठबंधन की ओर बढ़े दल अब साथ चलने से भी हिचकने लगे हैं। एक बार फिर से जीतन राम मांझी नीतीश कुमार के लिए कांटा बन गए हैं। हाल यह है कि बिहार में इस कथित परिवार के दो मुख्य चेहरे नीतीश

By manoj yadavEdited By: Published: Sat, 23 May 2015 09:32 PM (IST)Updated: Sun, 24 May 2015 08:01 AM (IST)
परिवार के एका में मांझी का कांटा, लालू-नीतीश में बढ़ी दूरियां

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बिहार में जनता परिवार के विलय के बदले गठबंधन की ओर बढ़े दल अब साथ चलने से भी हिचकने लगे हैं। एक बार फिर से जीतन राम मांझी नीतीश कुमार के लिए कांटा बन गए हैं। हाल यह है कि बिहार में इस कथित परिवार के दो मुख्य चेहरे नीतीश व लालू प्रसाद ही एक-दूसरे से आंखें चुराने लगे हैं। शुक्रवार को बैठक से दूर रहे नीतीश ने शनिवार को सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की। बाद में संभवत: लालू प्रसाद भी मुलायम से मिले।

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महाविलय से इतर दोनों दिग्गज नेताओं की मुलायम से मुलाकात के बावजूद यह रास्ता नहीं निकल सका कि दोनों एक साथ कैसे हों? वजह कि लालू के सुझाव से असहमत नीतीश कुमार मांझी को गठबंधन में शामिल करने के खिलाफ हैं। दरअसल, चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, जनता परिवार का बिखराव बढ़ता जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, शनिवार को मुलायम से मिलकर नीतीश ने स्पष्ट कर दिया कि मांझी को गठबंधन में शामिल नहीं किया जा सकता है, जबकि लालू खुलेआम मांझी का समर्थन कर रहे हैं। इसके अलावा नीतीश को गठबंधन का मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करने पर राजद पहले ही ऐतराज जता चुका है।

लोकसभा चुनाव के नतीजों के लिहाज से सीट बंटवारे को लेकर राजद खुद को बड़ा भाई मानता है और जाहिर तौर पर अधिक सीटें चाहता है। राजद की कोशिश है कि बिहार विधानसभा चुनाव में राजग को छोड़कर सभी दल एक गठबंधन में खड़े हों, जो नीतीश के लिए मान्य नहीं हो सकता है। संभवत: नीतीश राजद की इस रणनीति को बखूबी समझ रहे हैं कि चुनाव बाद भी वह सत्ता की चाभी अपने पास रखना चाहता है। जदयू के एक खेमे में यह आशंका भी गहराने लगी है कि मुलायम सिंह और लालू प्रसाद की सोच मिलने लगी है। ऐसे में नीतीश पर दबाव बढ़ाया जा सकता है, जो भविष्य में जदयू के लिए फायदेमंद नहीं होगा। इन्हीं कारणों से शुक्रवार को महाविलय पर हुई बैठक बेनतीजा रही थी। दरार शायद इतनी बढ़ने लगी है कि शनिवार को औपचारिक बैठक भी नहीं हो सकी।

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